जंगल से लकड़ी चुनने की शौकीन थी शहीद की धर्म पत्नी बलमदीना एक्का, जारी को प्रखंड बनाने के लिए थी सबसे पहले मांग
जारी गांव के 75 वर्षीय मनबोध बड़ाईक ने कहा कि बलमदीना एक्का रिश्ता में भाभी लगती थी. सुबह को मुझे मृत्यु की खबर मिली तो हमको बहुत ही दुख हुआ. अलबर्ट एक्का की शहादत के बाद बलमदीना एक्का ने बहुत ही सूझ-बूझ के साथ अपने बेटे की परवरिश की थी. जारी गांव के बारे में अक्सर वह सोचती थी. यहां तक कि जारी को प्रखंड बनाने की मांग सबसे पहले बलमदीना ने ही उठायी थी.
जारी : शहीद अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का के निधन से जारी प्रखंड में शोक की लहर है. बलमदीना एक्का का निधन जारी गांव के लिए बहुत बड़ी क्षति है. क्योंकि वह अक्सर अपने गांव व गांव के लोगों के बारे में सोचती थी. उनकी कुछ सहेली व दोस्तों ने बताया कि जंगल में लकड़ी चुनने की शौकीन थी बलमदीना. शहीद की पत्नी होने के बाद भी उनमें कोई गुमान नहीं था. वह सभी के बारे में सोचती थी. प्रकृति प्रेमी थी. पशुओं के लिए जंगल से खुद चारा लाती थी.
बलमदीना गांव के बारे में सोचती थी : मनबोध
जारी गांव के 75 वर्षीय मनबोध बड़ाईक ने कहा कि बलमदीना एक्का रिश्ता में भाभी लगती थी. सुबह को मुझे मृत्यु की खबर मिली तो हमको बहुत ही दुख हुआ. अलबर्ट एक्का की शहादत के बाद बलमदीना एक्का ने बहुत ही सूझ-बूझ के साथ अपने बेटे की परवरिश की थी. जारी गांव के बारे में अक्सर वह सोचती थी. यहां तक कि जारी को प्रखंड बनाने की मांग सबसे पहले बलमदीना ने ही उठायी थी.
Posted By : Sameer Oraon