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गुमला में बारिश से फसल बर्बाद, परेशानी में हैं किसान, लेकिन इस वजह से राहत की ले रहे हैं सांस

घाघरा प्रखंड के बेलागाड़ा गांव के किसान राजू उरांव, ठेमा भगत, बंदे उराव, सोमसाय उरांव, चंपा उरांव ने कहा कि हमलोगों ने 20 एकड़ से अधिक खेत में सब्जी, तरबूज, टमाटर की खेती किया है. फसल तैयार है. परंतु बारिश के कारण खेत में ही फसल बर्बाद हो गया. दो दिनों की बारिश से भारी नुकसान हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 29, 2021 1:55 PM

गुमला : दो दिन मूसलाधार बारिश हुई. कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के अनुसार दो दिन में करीब 65.8 मिलीमीटर बारिश हुई है. बारिश ने जहां फसलों को नुकसान पहुंचाया है. वहीं बारिश के कारण सूख चुकी नदी, तालाब व कुआं में पानी जमा हो गया है. फसल बर्बाद होने से जहां किसान आफत में हैं. वहीं नदी, तालाब व कुआं में पानी जमा होने से किसान खुश हैं.

घाघरा प्रखंड के बेलागाड़ा गांव के किसान राजू उरांव, ठेमा भगत, बंदे उराव, सोमसाय उरांव, चंपा उरांव ने कहा कि हमलोगों ने 20 एकड़ से अधिक खेत में सब्जी, तरबूज, टमाटर की खेती किया है. फसल तैयार है. परंतु बारिश के कारण खेत में ही फसल बर्बाद हो गया. दो दिनों की बारिश से भारी नुकसान हुआ है.

हालांकि इन किसानों ने कुआं, तालाब व नदी में पानी जमा होने पर खुशी प्रकट की है. कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के डॉ संजय कुमार ने बताया कि किसान इस समय अपने खेत में उचित जल निकास प्रबंधन करने की आवश्यकता है. जिसके कारण खेत में लगी भिंडी इत्यादि की फसल बचायी जा सकती है. साथ ही साथ कतार जमीन में लगी फसलों में नुकसान होने की संभावना कम हो जायेगा.

डॉ कुमार ने बताया कि जहां यह बारिश किसानों के लिए नुकसान दायक है. वहीं पर इस बारिश का हम उचित प्रबंधन करके ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकते हैं. जैसे कि मौसम खुलने के बाद तुरंत खेतों की मेढ़बंदी कर ले. जिससे खेतों में जलजमाव होगा. नमी ज्यादा दिन तक रुकेगी एवं अगली खरीफ फसल करने में काफी मदद मिलेगी.

साथ ही साथ जो जलस्रोत कुंआ, तालाब, नदी सूख गये थे. उनमें इस समय पर्याप्त पानी का भंडारण हो रहा है. जिसका उपयोग हम आने वाली फसलों में कर सकते हैं. क्योंकि आने वाले समय में धान एवं अन्य फसलों का बिचड़ा लगाने का समय आ रहा है जो कि पानी के अभाव के कारण अक्सर लेट हो जाया करता है. उसे हम समय पर कर सकते हैं. इस समय आम की फसल काफी अच्छी है, जो किसानों के मन में डर था कि साइक्लोन में हवा तेज चलेगी. लेकिन ऐसा नहीं होने से आम के किसान काफी खुश हैं.

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