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1909 में हुई बसिया के नारकेला में जगन्नाथ मंदिर की स्थापना, जानिए क्या है उसका इतिहास

एक बार उनको स्वप्न आया कि भगवान उनसे कह रहे हैं कि मैं यहां पड़ा हूं और तुम सो रहे हो. तब अगले दिन पंडितों से राय मशवरा लिया गया और जंगल की तरफ गये. जैसे जंगल में गये तो, देखा कि साक्षात जगन्नाथ भगवान की मूर्ति पड़ी थी. तब उन्होंने मंदिर बनवाया और प्राण-प्रतिष्ठा के लिये पुरी से पंडित को लेकर आये. मंदिर तीन मार्च 1909 में निर्मित हुआ.

गुमला : बसिया प्रखंड के नारेकेला गां में श्री जगन्नाथ मंदिर है. जहां का रथ मेला अपने जमाने में 15 किलोमीटर के क्षेत्र में प्रसिद्ध रहा है. मंदिर का इतिहास ऐसा है कि नारकेला गांव के बड़े जमींदार रणबहादुर लाल पूजा पाठ और समाजसेवा में विशेष ध्यान रखते थे. गांव के लोग भी उनका काफी सम्मान करते थे.

एक बार उनको स्वप्न आया कि भगवान उनसे कह रहे हैं कि मैं यहां पड़ा हूं और तुम सो रहे हो. तब अगले दिन पंडितों से राय मशवरा लिया गया और जंगल की तरफ गये. जैसे जंगल में गये तो, देखा कि साक्षात जगन्नाथ भगवान की मूर्ति पड़ी थी. तब उन्होंने मंदिर बनवाया और प्राण-प्रतिष्ठा के लिये पुरी से पंडित को लेकर आये. मंदिर तीन मार्च 1909 में निर्मित हुआ.

करीब 112 साल पुराना मंदिर है. स्वर्गीय बहादुर के निधन के बाद उनके पुत्र जगदीश प्रसाद और चचेरे भाई शिव प्रसाद लाल ने मंदिर को संभाला. सन् 1965 में शिव प्रसाद लाल का देहांत हो गया. उनके देहांत के बाद अखौरी परिवार और पुत्रगण लोग मंदिर की देखरेख कर रहे हैं. अभी पंडित रामेश्वरपति मंदिर में पूजा करा रहे हैं.

इनके पूर्वज भी भगवान जगन्नाथ का पूजा कराते रहे हैं. हर रोज पूजा और भोग हर सुबह गुड़, घी के साथ आरती होती है. दोपहर में अरवा चालव का भोग, दाल और सब्जी का भोग लगता है. शाम में चावल का छिलका और गुड़ के साथ सारती संपन्न होता है. रथ यात्रा के समय यहां बड़ा मेला लगता है. भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा निकाली जाती है. यहां होली के नौवें दिन डोल मेला लगता है और रामनवमी में भी यहां बड़ा मेला लगता है.

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