गुमला : बसिया प्रखंड से 20 किमी दूर ममरला पंचायत में कारालोया गांव है. यहां रोजगार नहीं है. गांव की 70 प्रतिशत आबादी रोजगार के लिये पलायन कर चुकी है. यह गांव आदिवासी बहुल है. जंगल व पहाड़ों के बीच बसा है. गांव में 10 टोला है. फु
लवार टोली, लाइन टोली, चुवां डीपा, वनटोली, भगतिनटोली, चापाटोली, मुर्गी टोंगरी, बांध टोली, जितिया टोली, फुलवारटोली है. जनसंख्या 1500 के करीब है. 468 वोटर है. जिसमें भुइयां जाति के 15 परिवार, हरिजन के 14 परिवार के अलावा 173 आदिवासी जाति के लोग निवास करते हैं. गांव के लोग सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य पेयजल व बिजली जैसी समस्या से जूझ रहे हैं.
गांव तक पहुंचने के लिये पहुंच पथ नहीं है. पगडंडियों के सहारे गांव पहुंचते हैं. पेयजल के लिये एक सोलर जलमीनार व एक चापाकल है. जिसमें चापाकल हमेशा खराब रहता है. रोजगार नहीं होने के कारण 70 प्रतिशत लोग छह माह के लिए भट्ठा में काम करने के लिए पलायन कर जाते हैं. विद्यालय नहीं होने के कारण अधिकतर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. 1500 आबादी में एक मात्र महिला बीएलओ लुईसा मिंज स्नातक पास है. तीन महिला विमला देवी, शिला देवी व सुशीला देवी इंटर पास है. विमला देवी गांव के विकास के लिए आगे बढ़ना चाहती है. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण वह कुछ कर नहीं पाती है.
विमला देवी ने कहा कि अभी तक कोई भी अधिकारी सड़क नहीं होने के कारण गांव नहीं आया है. सुषमा टेटे ने कहा कि गांव में रोजगार की समस्या होने के कारण लोग गांव से पलायन कर जाते हैं. जिस कारण पूरे गांव में गिने चुने लोग ही दिखायी पड़ते हैं. यहां तक कि किसी की मृत्यु होने पर कंधा देने के लिये लोग नहीं मिलते हैं. सुकरमनी देवी ने कहा कि उसका घर पहाड़ के ऊपर बसा है. जिस कारण पानी की घोर समस्या है.
ग्राम प्रधान बाले पाहन ने कहा कि जिप सदस्य सह विधायक प्रतिनिधि का घर कारलोया गांव से दो किमी दूर होने के बावजूद भी गांव के विकास के लिए कोई सोच नहीं है. गांव के पुरुष पूरा परिवार को लेकर पलायन कर जाते हैं. जिस कारण अधिकतर बच्चे अनपढ़ रह जाते हैं. यही कारण है कि एक भी पुरुष मैट्रिक तक कि पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.