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आसमानी बिजली का डर, ऊंचडीह के 111 परिवार को जान को खतरा, 2020 व 2021 में हो चुकी है 50 से अधिक पशुओं की मौत

जबकि कई ग्रामीण वज्रपात के झटके से घायल हो चुके हैं. एक सप्ताह पहले गांव की एक बच्ची घायल हो गयी थी. इलाज के बाद उसकी जान बची है. ऊंचडीह गांव, जंगल से घिरा है. साथ ही ऊंचे पहाड़ के ठीक किनारे गांव है. पहाड़ पर भी कई घर बसे हुए हैं. इस कारण, यहां वज्रपात अधिक होता है. कई बार तो घर में भी वज्रपात होता है. ग्रामीण कहते हैं. जब भी आसमान गरजता है. डर से हमें अपने घरों दुबकना पड़ता है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 19, 2021 12:54 PM

गुमला : रायडीह प्रखंड के ऊंचडीह गांव के 111 परिवार के लोग डर में जी रहे हैं. यह गांव थंडरिंग जोन में है. जब भी आसमान में बिजली कड़कती है. इस गांव में वज्रपात होता है. इस कारण, गांव के 111 परिवार को हर समय जान का खतरा बना रहता है. 2020 व 2021 (18 मई तक) के आंकड़े को देखें, तो इस गांव में 50 से अधिक पशुओं की मौत वज्रपात की चपेट में आने से हो गयी है.

जबकि कई ग्रामीण वज्रपात के झटके से घायल हो चुके हैं. एक सप्ताह पहले गांव की एक बच्ची घायल हो गयी थी. इलाज के बाद उसकी जान बची है. ऊंचडीह गांव, जंगल से घिरा है. साथ ही ऊंचे पहाड़ के ठीक किनारे गांव है. पहाड़ पर भी कई घर बसे हुए हैं. इस कारण, यहां वज्रपात अधिक होता है. कई बार तो घर में भी वज्रपात होता है. ग्रामीण कहते हैं. जब भी आसमान गरजता है. डर से हमें अपने घरों दुबकना पड़ता है.

तीन महीने तक भय के साये में रहते हैं :

ऊंचडीह गांव में 111 परिवार में 638 लोग हैं. गांव के लोग पढ़े-लिखे हैं. यहां रोमन कैथोलिक, जीईएल के अलावा मुंडा व आदिवासी परिवार के लोग रहते हैं. यह गांव 100 साल पहले बसा है. गांव के लोग बताते हैं. पूर्वज आकर पहाड़ के किनारे बस गये. इसलिए ऊंचडीह गांव पहाड़ के समीप बसा हुआ है. पहाड़ पर कई घर हैं. इस कारण गांव का नाम ऊंचडीह पड़ा. धीरे-धीरे गांव की तकदीर व तसवीर बदल रही है. परंतु वज्रपात से गांव के लोग डर-डर कर जीते हैं. बरसात शुरू होते ही तीन महीने तक ग्रामीण भय के साये में रहते हैं. अगर कोई खेत में रहता भी है तो बारिश होने व बादल गरजने के बाद भाग कर घर अा जाता है. ऊंचे पहाड़ होने के कारण यहां आसमानी बिजली भी जोरदार कड़कती है.

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