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Gumla : 600 स्कूलों में लगे तड़ित चालक की चोरी, वज्रपात का डर, छात्रों के जान को खतरा

गुमला जिले में 1571 स्कूल है. जिसमें 638 प्राथमिक स्कूलों में तड़ित चालक लगाये गये थे. वर्तमान में मात्र 37 से 38 स्कूलों में ही तड़ित चालक बचा है. बाकी 600 स्कूलों से तड़ित चालक रहस्यमय ढंग से गायब हो गया या फिर चोरी हो गयी.

Gumla News : गुमला के घाघरा प्रखंड में वज्रपात से दो स्कूली छात्रों की मौत हो गयी. इसके बाद सवाल उठ रहा है कि गुमला जिले के स्कूलों में तड़ित चालक लगा है या नहीं. शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि गुमला जिले में 1571 स्कूल है. जिसमें 638 प्राथमिक स्कूलों में तड़ित चालक लगाये गये थे. वर्तमान में मात्र 37 से 38 स्कूलों में ही तड़ित चालक बचा है. बाकी 600 स्कूलों से तड़ित चालक रहस्यमय ढंग से गायब हो गया या फिर चोरी हो गयी. ऐसा इसलिए कि जितने स्कूलों से तड़ित चालक की चोरी या गायब हुए हैं, उनमें से अधिकांश को लेकर पुलिस को सूचना नहीं दी गयी. न ही थाने में किसी तरह की शिकायत दर्ज की गयी है.

दो करोड़ 10 लाख रुपये का हुआ नुकसान

बताते चलें कि एक तड़ित चालक की कीमत करीब 35 हजार रुपये था. इस प्रकार 600 तड़ित चालक की चोरी होने से करीब दो करोड़ 10 लाख रुपये का नुकसान सरकार को हुआ है. परंतु हैरत करने वाली बात यह है कि जिन स्कूलों से तड़ित चालक की चोरी हुई. उनमें 95 प्रतिशत स्कूलों के एचएम द्वारा थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. जिससे यह पता चल सके कि तड़ित चालक कहां गया. इस कारण जिन स्कूलों से तड़ित चालक गायब हुआ है. इसमें उस स्कूल के एचएम भी संदेह के घेरे में है. ऐसा इसलिए भी कि तड़ित चालक के साथ उससे जुड़े हुए कीमती तार भी गायब है. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ स्कूल के एचएम ने तड़ित चालक की चोरी का केस थाने में दर्ज कराया है. अधिकांश स्कूलों के एचएम ने अपराधी व उग्रवादियों के डर से थाने तक नहीं गये.

बच्चों के साथ गांव वाले भी सुरक्षित रहते हैं

जिन गांवों के स्कूलों में तड़ित चालक लगा हुआ था. उस स्कूल के बच्चे आसमानी बिजली से सुरक्षित रहते थे. यहां तक कि स्कूल के सटे गांव में भी वज्रपात नहीं होता था और गांव के लोग भी सुरक्षित रहते थे. परंतु जब से स्कूलों से तड़ित चालक गायब हुआ है. उन गांवों में अब वज्रपात हो रहा है. जिसका नतीजा है. गांव के मवेशियों की मौत हो रही है. ग्रामीण भी घायल हो रहे हैं. कुछ गांवों में तो वज्रपात से लोगों की जान भी जा रही है. इधर, 10 दिन में हुए वज्रपात से गुमला जिले में पांच लोगों की मौत हो चुकी है.

12 साल पहले लगा था तड़ित चालक

गुमला जिले में दो फेज में स्कूलों में तड़ित चालक लगाया गया था. वर्ष 2008-2009 में 482 स्कूलों में तड़ित चालक लगा था. वहीं वर्ष 2009-2010 में 156 तड़ित चालक की स्थापनी की गयी थी. इस प्रकार 638 स्कूलों के बच्चों को आसमानी बिजली से बचाने के लिए तड़ित चालक लगाया गया था. जिसमें अब 37 से 38 स्कूलों में ही तड़ित चालक बचा है. बाकी स्कूलों से जीवन की रक्षा करने वाला यंत्र गायब हो गया.

डेंजर जोन में आता है गुमला जिला

शिक्षा विभाग के अनुसार गुमला जिला जंगल व पहाड़ों से घिरा है. यह पठारी इलाका है. इस कारण यह जिला डेंजर जोन में आता है. यहां आसमानी बिजली सबसे घातक है. जब भी किसी गांव व घर में आसमानी बिजली गिरता है. किसी न किसी को नुकसान होता है. हर साल आसमानी बिजली से 10 से 15 लोगों की मौत होती है. जबकि सैंकड़ों की संख्या में मवेशियों की जान जाती है. गुमला में तेज गर्जन के साथ अक्सर आसमानी बिजली धरती पर गिरता है.

क्या कहते हैं अधिकारी

स्कूलों से तड़ित चालक कैसे गायब हुआ. यह पता नहीं चला है. किन-किन स्कूलों में तड़ित चालक नहीं है. इसकी सूची तैयार कर विभाग को भेजा जायेगा. जिससे स्कूलों में नया तड़ित चालक लगाया जा सके.

– सुरेंद्र पांडे, डीएसइ गुमला शिक्षा विभाग

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान

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