शो-पीस बना तीन करोड़ रुपये का अस्पताल, एक नर्स के भरोसे संचालित है कोंडरा अस्पताल
वर्षों से भवन बेकार पड़ा था. इस कारण अस्पताल के आधा हिस्सा में फिलहाल में पुलिस का कब्जा है. इस अस्पताल में एक डॉक्टर को हर दिन रहना है. स्वीकृत पद भी है. परंतु यहां डॉक्टर नहीं रहते. जिस कारण इस क्षेत्र के लोग झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने को मजबूर हैं. रायडीह से कोंडरा की दूरी करीब 20 किमी है.
Jharkhand News, Gumla News रायडीह : रायडीह प्रखंड में कोंडरा पंचायत है. यह घोर उग्रवाद प्रभावित इलाका है और छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. यहां तीन करोड़ रुपये की लागत से अस्पताल बना है. परंतु यह गांव वालों के लिए शो-पीस बन कर रह गया है. एक नर्स के भरोसे अस्पताल चल रहा है. डॉक्टर कभी नहीं आते हैं.
वर्षों से भवन बेकार पड़ा था. इस कारण अस्पताल के आधा हिस्सा में फिलहाल में पुलिस का कब्जा है. इस अस्पताल में एक डॉक्टर को हर दिन रहना है. स्वीकृत पद भी है. परंतु यहां डॉक्टर नहीं रहते. जिस कारण इस क्षेत्र के लोग झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने को मजबूर हैं. रायडीह से कोंडरा की दूरी करीब 20 किमी है.
अगर कोई गंभीर रूप से बीमार हो तो अस्पताल आने के दौरान रास्ते में मौत हो जाती है. इसलिए लोग स्थानीय स्तर पर मौजूद झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे हैं. अभी कोरोना महामारी में इस पंचायत के सभी नौ राजस्व गांव में सर्दी, बुखार, खांसी के मरीज हैं. मजबूरी में लोग जंगली जड़ी बूटी भी खा रहे हैं. कई गांव के लोग ओझागुणी करने वाले भगत से दवा ले रहे हैं.
मुखिया की सुनिए :
कोंडरा पंचायत की मुखिया कमला देवी ने कहा कि जब से अस्पताल बना है. तब से डॉक्टर की मांग की जा रही है. परंतु सरकार व प्रशासन कोंडरा अस्पताल को डॉक्टर नहीं दे रहे हैं. काफी प्रयास के बाद एक नर्स नीलम अंजना तिर्की यहां हर दिन डयूटी करती है.
कोंडरा के अलावा बगल बगल के कोब्जा, सुरसांग क्षेत्र के लोग भी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हैं. अगर कोंडरा अस्पताल को डॉक्टर मिल जाता तो इस क्षेत्र के करीब 15 हजार आबादी को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिलता. अस्पताल भवन भी अच्छा है. यहां संसाधन व सुविधा की भी जरूरत है.
Posted By : Sameer Oraon