भरनो: यह दो तस्वीरें बताने के लिए काफी है कि धान मिसनी समाप्त होने के बाद प्रवासी मजदूरों व किसानों का पलायन शुरू हो गया है. गुमला के भरनो प्रखंड में हर वर्ष धान की खेती व मिसनी करने के बाद सैकड़ों मजदूर बिहार, बंगाल, उत्तरप्रदेश, गोवा, पंजाब पलायन कर जाते हैं. मजदूरों की मानें, तो रोजगार का कोई साधन नहीं है. मनरेगा से काम नहीं है. अगर मनरेगा से कहीं काम होता है, तो समय पर मजदूरी नहीं मिलती. इसलिए दूसरे राज्य कमाने चले जाते हैं, ताकि परिवार का जीविका चला सके.
मजदूरों ने कहा कि खाने के धान की खेती कर ली, परंतु, घरेलू जरूरत, दवा व अन्य कामों के लिए पैसे की जरूरत है. इसके लिए कमाना जरूरी है. दूसरे राज्य में काम आसानी से मिल जाता है. सात से आठ माह मजदूरी कर पैसा कमाने के बाद पुन: घर आकर खेतीबारी करते हैं. भरनो के अधिकांश मजदूर ईंट-भट्ठा पर काम करने जाते हैं. क्योंकि, गुमला जिले के सभी भट्ठों को प्रशासन ने बंद करा रखा है.
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