रायडीह का अनुज छह सालों से विकलांग पेंशन के लिए ब्लॉक का चक्कर लगा रहा, फिर भी नहीं बना काम
विकलांग सर्टिफिकेट होने के बाद भी नहीं बनी विकलांग पेंशन. दोनों हाथों में चप्पल लगा कर एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है
रायडीह प्रखंड के सिलम पंचयात स्थित मिशन खोइर गांव के 11 वर्षीय अनुज उरांव दोनों पैर से निकलांग है. वह हाथ के बल घसीटकर चलता है. अनुज का विकलांग प्रमाण पत्र भी बना हुआ है. परंतु उसे विकलांग पेंशन नहीं मिलती है. विकलांग पेंशन के लिए वह छह सालों से प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहा है. जबकि अनुज का वर्ष 2017 में ही विकलांग सर्टिफिकेट बन चुका है.
अनुज के पिता चंद्रकांत उरांव व मां अंजु देवी किसी प्रकार खेतीबारी कर अपने विकलांग पुत्र व एक तीन साल की बेटी का भरण पोषण कर रहे हैं. अनुज की मां अंजु देवी ने बताया कि अनुज जन्म से ही विकलांग है. वह दोनों पैर से चलने में असमर्थ है. उसने पूर्व में अपने बेटे के विकलांग पेंशन बनवाने के लिये कई बार ब्लॉक कार्यालय का चक्कर लगा चुकी है. जिसके बाद भी काम नहीं बना.
इसके अलावा उसने आंगनबाड़ी केंद्र में भी फार्म जमा किया है.. उसके बाद भी कोई पहल नहीं की गयी. सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ राशन कार्ड बना हुआ है. अनुज ने कहा कि वह सिलम स्थित राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय में चौथी कक्षा का छात्र है. कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद होने पर घर में रह कर पढ़ाई करता है. उन्होंने प्रशासन से अपना विकलांग पेंशन बनवाने की मांग की है.