गुमला के बिशुनपुर में सोहराई जतरा का हुआ आयोजन, सामाजिक सांस्कृतिक से अवगत हुए युवा
गुमला जिले के बिशुनपुर के कोको टोली पहाड़ टांड़ में सोहराई जतरा का आयोजन किया गया. जहां मुख्य अतिथि के रूप में जेएमएम के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री और विशिष्ट अतिथि के रूप में युवा सोशल एक्टिवेस्ट अनिल पन्ना शामिल हुए. जतरा का मुख्य आकर्षण खोड़हा नाच रहा.
Gumla News: गुमला जिले के बिशुनपुर के कोको टोली पहाड़ टांड़ में सोहराई जतरा का आयोजन किया गया. जहां मुख्य अतिथि के रूप में जेएमएम के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री और विशिष्ट अतिथि के रूप में युवा सोशल एक्टिवेस्ट अनिल पन्ना शामिल हुए. अन्य अतिथियों में पहड़ा बेल सतीश उरांव, पहड़ा दीवान रोशन उरांव, बनारी मुखिया बसनु उरांव, पड़हा बेल जयराम उरांव, भौवा उरांव, जनार्धन टानाभगत, भूषण टाना भगत और प्रभाकर कुजूर आदि शामिल हुए.
सोहराई जतरा झारखंड की पहचान
मुख्य अतिथि डॉ तनुज खत्री ने कहा कि सोहराई जतरा झारखंड की पहचान है. यही झारखंड की विशेषता है. इसी पहचान को मूर्त रूप देने के लिये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1932 के ख़ातियान को कैबिनेट से पास कराने का काम किया. हम धन्यवाद व आभार प्रकट करते हैं कि आगामी 11 नवंबर 2022 को विधानसभा से भी झारखंडियों के हित मे पास कराने का काम किया जाएगा.
खोड़हा नाच रहा जतरा का मुख्य आकर्षण
इसके पूर्व जतरा का मुख्य आकर्षण खोड़हा नाच रहा. करीब 112 खोड़हा के ग्रामीण परंपरागत भेष-भूषा में खोड़हा से मांदर-नगाड़े के साथ हज़ारों की संख्या में नाचते-गाते शामिल हुए. विशिष्ट अतिथि युवा सोशल एक्टिवेस्ट अनिल पन्ना ने कहा कि सोहराई जतरा झारखंड की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत है. इसे बचाए रखने की आवश्यकता है. सोहराई जतरा सांस्कृतिक एकता और आपसी भाईचारा का एक माध्यम है. आदिवासियों की पहचान जल, जंगल, जमीन, रीति रिवाज,भाषा,संस्कृति व परंपरा से है. यही इस सोहराई जतरा का मूल संदेश है. अनिल पन्ना ने कहा कि यह क्षेत्र नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अंतर्गत आता है. मुख्यमंत्री ने फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार न देकर यहां के आदिवासी मूलवासी को बचाने का काम किया है. इसके लिए सभी बिशुनपुर प्रखंड के निवासी धन्यवाद और आभार प्रकट करते हैं. अनिल पन्ना ने का कि हमें अपने पुरखों पर गर्व करना चाहिए, जिन्होंने समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए अनेक सामाजिक उपाय किए.
खोड़हा टीमों को किया गया सम्मानित
जतरा समिति के द्वारा सभी खोड़हा टीमों को सम्मानित किया गया. आयोजन को सफल बनाने में शेखर उरांव, सुनित उरांव, संतोष कुम्हार,रोबर्ट कुजूर, एडविन कुजूर,बोलोमीना उरांव, प्रभा मांझी,अर्जेन उरांव, जसिंता उरांव, सुमरीता उरांव, तेतरु पहान आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा. मंच का संचालन करमचंद उरांव के द्वारा किया गया.