कभी चलती थी गोली, आज नक्सलियों के गढ़ में चला कुदाल, ग्रामीणों ने श्रमदान से बनायी 6 KM कच्ची सड़क
jharkhand news: नक्सलियों के गढ़ गुमला जिला अंतर्गत रायडीह प्रखंड के काड़ांग, कोजांग व लसड़ा गांव में ग्रामीणों ने श्रमदान से 6 किमी कच्ची सड़क बना डाली. ग्रामीण अब विकास चाह रहे हैं. 6 किमी कच्ची सड़क बनाने में एक सप्ताह तक हर दिन 50 ग्रामीणों ने श्रमदान किया था.
Jharkhand news: झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य के बॉर्डर पर स्थित रायडीह प्रखंड के काड़ांग, कोजांग व लसड़ा गांव में ग्रामीणों ने श्रमदान से 6 किमी कच्ची सड़क बनायी. यह पूरा इलाका घोर नक्सल प्रभावित है. सरकार और प्रशासन ने जब सड़क नहीं बनायी, तो ग्रामीण खुद कुदाल उठा लिये. एक सप्ताह की मेहनत के बाद 6 किमी सड़क बना डाली. इस सड़क के बनने से काड़ांग, कोजांग, लसड़ा, डहूटोली, बगडाड़ सहित आसपास के एक दर्जन गांव के करीब 5000 आबादी को फायदा हुआ. काड़ांग गांव से कुछ दूरी पर छत्तीसगढ़ राज्य का बॉर्डर भी है. सड़क बनने से छत्तीसगढ़ से सटे गांव के लोगों को भी रायडीह बाजार आने के लिए आसानी हो गयी.
ग्रामीणों ने बदलाव को ठानी
यहां बता दें कि ये सभी गांव जंगल और पहाड़ों के बीच है. इस क्षेत्र में नक्सली गतिविधि के कारण ही विकास नहीं हो रहा है. इसलिए ग्रामीण खुद अपने स्तर से गांव तक पहुंच पथ बनाये. जिससे लोगों का आवागमन हो सके. प्रशासनिक अधिकारी भी गांव पहुंच सके.
पहाड़ी व ऊबड़-खाबड़ सड़क थी, जिसे समतल किया
इस इलाके की सड़क पहाड़ी व ऊबड़-खाबड़ है. जगह-जगह गड्ढा हो गया है. कुछ बहुत पहाड़ी सड़क होने के कारण वाहनों के आवागमन में परेशानी होती थी. ग्रामीणों ने पूर्व में सड़क बनाने की मांग सरकार और प्रशासन से किया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. मनरेगा से कुछ दूरी तक सड़क बनी थी, लेकिन वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और मनरेगा की सड़क भी गड्ढों में तब्दील हो गया था. इसलिए ग्रामीणों ने गांव में बैठक की. श्रमदान से सड़क बनाने का निर्णय लिया. इसके बाद हर दिन सुबह को तीन घंटे ग्रामीण सड़क बनाने में श्रमदान करने लगे और देखते ही देखते एक सप्ताह में 6 किमी सड़क बन गयी. ग्रामीणों ने कहा कि अगर प्रशासन इस सड़क को मनरेगा से बनवाती, तो अभी तीन-चार लाख रुपये का खर्च हो जाते. आज हमलोगों ने इस श्रमदान से नि:शुल्क सड़क बना दी.
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आज भी इस क्षेत्र के गांव उपेक्षित हैं : ग्राम प्रधान
ग्राम प्रधान लुदेश्वर सिंह के नेतृत्व में गांव में बैठक की गयी थी. इसके बाद सड़क बनाने का निर्णय हुआ. सड़क बनाने में सुशील सोरेंग, वीरेंद्र सोरेंग, जगतपाल सिंह, सूरज सिंह, पैरू सिंह, सुजीत मुंडा, रमेश मुंडा, चैतू मुंडा, मोहन मुंडा, गोपाल सिंह, भीष्म सिंह सहित गांव के 50 ग्रामीण थे. सड़क बनाने में काड़ांग गांव के हर एक परिवार से एक सदस्य ने श्रमदान किया है. ग्राम प्रधान ने कहा कि आज भी इस इलाके में जितने गांव है. वह विकास से कोसो दूर है. कच्ची सड़क बनने से पांच हजार से अधिक आबादी को फायदा होगा. छत्तीसगढ़ आने-जाने का रास्ता भी सुगम हुआ. वहीं, ग्रामीण युवक दुलारचंद साहू ने कहा कि कच्ची सड़क बनने से ग्रामीणों के अलावा बच्चों को स्कूल आने-जाने में आसानी होगी. सड़क के कारण अधिकारी गांव नहीं जाते थे. अब अधिकारी भी गांव पहुंच सकते हैं.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.