प्रवासी पक्षियों के लिए गुमला का मौसम अनुकूल, जिले के जंगलों में कइयों ने बनाया बसेरा
Jharkhand news, Gumla news : इन दिनों गुमला जिला के जंगलों में रेड भेंटेड बुलबुल, पाईड मैना (एशियन पाईड स्टारली), ब्लैक ड्रोंगो, स्केली ब्रस्टेड मुनिया, स्पोटेड डभ (पनडुक), गिद्ध जैसे प्रवासी पक्षियों का बसेरा बना हुआ है. ये प्रवासी पक्षी जिले के जंगलों में हर साल ठंड के मौसम में आते हैं और मेहमान के रूप में लगभग 3 महीने तक रहने के बाद चले जाते हैं.
Jharkhand news, Gumla news : गुमला (जगरनाथ) : इन दिनों गुमला जिला के जंगलों में रेड भेंटेड बुलबुल, पाईड मैना (एशियन पाईड स्टारली), ब्लैक ड्रोंगो, स्केली ब्रस्टेड मुनिया, स्पोटेड डभ (पनडुक), गिद्ध जैसे प्रवासी पक्षियों का बसेरा बना हुआ है. ये प्रवासी पक्षी जिले के जंगलों में हर साल ठंड के मौसम में आते हैं और मेहमान के रूप में लगभग 3 महीने तक रहने के बाद चले जाते हैं.
इन प्रवासी पक्षियों में से रेड भेंटेड बुलबुल एवं पाईड मैना को जंगलों के समीप देखा जा सकता है. ये पक्षी जंगल से सटे बाहरी हिस्से में रहते हैं. इसी प्रकार ब्लैक ड्रोंगो को खुला जंगल अथवा खेत में देखा जा सकता है. वहीं, स्केली ब्रस्टेड मुनिया छोटी प्रजाति की पक्षी है जो जंगल में चारों ओर से घिरे पेड़े पर अपना घोसला बनाकर रहती हैं और वहीं अपने बच्चे को भी जन्म देती है. इस पक्षी की खासियत यह है कि ये कभी भी खुले खेत, घर के मुंडेर अथवा छत पर नहीं बैठती है. ये सिर्फ पेड़ पर ही बैठती है.
स्पोटेड डभ (पनडुक) एक कॉमन पक्षी है. ये सभी पक्षी गुमला जिला में सिर्फ ठंड के मौसम में ही नजर आते हैं. वहीं, गिद्ध को खुले आसमान में परवाज करते हुए देखा जा सकता है. यह जानकारी वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग गुमला से प्राप्त हुई है. डीएफओ श्रीकांत ने कई प्रवासी पक्षियों का फोटो भी उपलब्ध कराया है.
ये सभी प्रवासी पक्षी ठंड के मौसम में गुमला जिले में नजर आते हैं. अक्टूबर माह से प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है, जो जनवरी माह तक यहीं रहते हैं. जनवरी माह तक यहां का वातावरण प्रवासी पक्षियों के अनुकूल रहता है. इसके बाद जब ठंड का प्रभाव कम होने लगता है, तो प्रवासी पक्षी वापस चले जाते हैं.
प्रवासी पक्षियों के आने के कारण
जिले के जंगलों में प्रवासी पक्षियों के आने का मुख्य कारण यह है कि ठंड के मौसम में यहां के जंगल के बाहर और अंदर का हिस्सा प्रवासी पक्षियों के अनुकूल रहता है. साथ ही भोजन और पानी की सुविधा भी है. कुछ प्रवासी पक्षी जंगल में चारों ओर से घिरे पेड़ पर अपना घोसला बनाते हैं, तो कुछ पक्षी जंगल के बाहरी हिस्से में अपना घोसला बनाकर रहते हैं. वहीं, भोजन और पानी की बात करें, तो जंगल अथवा जंगल के समीप से होकर बहने वाली नदी से पानी एवं उसके इर्द-गिर्द रहने वाले कीट भोजन की कमी को दूर करता है.
पक्षियों की सुरक्षा के लिए नहीं बनी है कोई योजना
जिले में आने वाले प्रवासी पक्षियों सहित अन्य पक्षियों के लिए वन विभाग की ओर से सुरक्षा के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है. पेड़ों अथवा खेतों में बैठने वाले पक्षियों का स्थानीय लोग शिकार करने का प्रयास करते हैं. कई बार तो ग्रामीण इन प्रवासी पक्षियों का शिकार तक कर लेते हैं, लेकिन अधिकांश पक्षी शिकार होने से पहले ही उड़ जाती है. हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा विलुप्त हो रही पक्षियों को ध्यान में रखकर पक्षियों को विशेष स्थान देते हुए देश के सभी राज्यों को पक्षी संरक्षण को लेकर योजना बनाने का निर्देश दिया है. लेकिन, अब तक पक्षियों के संरक्षण के लिए किसी प्रकार की कोई योजना नहीं बनी है, ताकि पक्षियों की सुरक्षा हो सके. भले ही पक्षियों की सुरक्षा के लिए कोई योजना नहीं बनी हो, लेकिन गुमला वन विभाग की ओर से पक्षियों के रहने के लिए उचित व्यवस्था किया जाता है. वन विभाग की ओर से पक्षियों के रहने के लिए पेड़ों पर कृत्रिम घोसला बनाया जाता है.
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पक्षी संरक्षण योजना पर दिया जा रहा है जोर : डीएफओ
इस संबंध में गुमला डीएफओ श्रीकांत कहते हैं कि ठंड के मौसम में गुमला जिला में कई तरह के प्रवासी पक्षी आते हैं. मौसम जब तक प्रवासी पक्षियों के अनुकूल रहता है तब तक रहने के बाद चले जाते हैं. ऐसे तो सालों भर प्रवासी पक्षियों का आना- जाना लगा रहता है, लेकिन इस ठंड के मौसम में जो प्रवासी पक्षी आते हैं. वे बहुत ही बिरले नजर आते हैं. अब केंद्र सरकार द्वारा पक्षियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पक्षी संरक्षण योजना बनाने की योजना है. योजना बनने से पक्षियों की सुरक्षा होगी और जो पक्षी विशेषकर गिद्ध विलुप्त हो रहे हैं. उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होगी.
Posted By : Samir Ranjan.