झारखंड के इस थाने में न पीने का पानी, न शौचालय की व्यवस्था

झारखंड के उग्रवाद प्रभावित गुमला जिले में एक थाना है सिसई. इस थाने में न पीने का पानी उपलब्ध है, न ही आम लोगों के लिए यहां किसी शौचालय की व्यवस्था है.

By Mithilesh Jha | March 31, 2024 7:00 PM
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गुमला, दुर्जय पासवान : आपके साथ कोई घटना हो जाए, तो सबसे पहले आप पुलिस के पास जाते हैं. गांव या शहर में कोई वारदात हो जाए, तो उसकी रिपोर्टिंग सबसे पहले थाने में होती है.

ऐसा है गुमला जिले के सिसई थाने का हाल

अपराध की बड़ी-बड़ी घटना से लेकर घर के छोटे-मोटे झगड़े तक थाने पहुंचते हैं. वैसे में अगर थाने में मूलभूत सुविधा न हो, तो फरियादी की छोड़िए, उन पुलिस वालों के बारे में सोचिए, जो वहां रहकर काम करते हैं. आज हम आपको सिसई थाने का हाल बताने जा रहे हैं, जहां बेहद जरूरी सुविधाएं नहीं हैं.

आम लोगों के लिए पेयजल और शौचालय की थाने में नहीं है व्यवस्था

अगर आप सिसई थाने में पुलिस के पास कोई फरियाद करने जा रहे हैं, तो अपने साथ पीने का पानी बोतल में लेकर जाइएगा. थाना परिसर में पीने के शुद्ध पानी व शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. पुलिसकर्मी खुद पानी का जार खरीदकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं.

महीनों से खराब पड़ा है सिसई थाना का हैंडपंप. प्रभात खबर

5 हैंडपंप लगे, सब महीनों से पड़े हैं खराब

पूरे थाना क्षेत्र की जनता को सुरक्षा प्रदान करने वाले गुमला जिले के पुलिसकर्मियों व आगंतुकों के लिए अलग-अलग समय में थाना परिसर में 5 हैंडपंप लगाए गए थे. ये चापाकल महीनों से खराब हैं. आगंतुक प्रतीक्षालय के समीप के हैंडपंप से काफी मेहनत के बाद दूषित पानी निकलता है. इसलिए इस पानी का उपयोग कोई नहीं करता.

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डीप बोरिंग से नहीं निकलता पानी. दूसरे डीप बोरिंग का पानी इस्तेमाल के लायक नहीं. प्रभात खबर

दो डीप बोरिंग में एक 6 माह से खराब, दूसरे से निकलता है गंदा पानी

थाना परिसर में दो डीप बोरिंग हैं. एक 6 माह से खराब है. एक बोरिंग से पानी निकलता है, लेकिन उसका पानी पीने योग्य नहीं है. सुरक्षाकर्मी उस पानी को नहाने, कपड़ा व बर्तन धोने के अलावा शौचालय के लिए उपयोग करते हैं. परिसर में शौचालय का भी घोर अभाव है.

लाखों रुपए खर्च करके बनवाया गया था शौचालय, आज नहीं होता इसका इस्तेमाल. प्रभात खबर

10 कमरे का शौचालय, 6 कमरे का स्नानागार पड़ा है बेकार

थाना परिसर में 10 कमरे का शौचालय व 6 कमरों का स्नानागार हाल ही में बनाया गया था. बनने के एक साल के भीतर ही शौचालय की टंकी जाम हो गई. कमरा जर्जर व गंदा हो गया. कोई जवान उसमें जाना नहीं चाहता.

20 से अधिक पुलिसकर्मी करते हैं एक शौचालय का इस्तेमाल

थाना भवन के सिरिस्ता कक्ष में बने दो शौचालय, एक स्नानागार व ऊपरी तल्ला में बने एक शौचालय का 20 से अधिक पुलिसकर्मी उपयोग करते हैं. समय के अभाव के कारण कई जवान खुले में नहाने को मजबूर हैं.

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सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को

सबसे ज्यादा परेशानी महिला आरक्षी व थाना पहुंचने वाली महिलाओं को उठानी पड़ती है, क्योंकि इनके लिए अलग से शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. थाना परिसर की चहारदीवारी भी महज डेढ़ से दो फीट ऊंची है, जो सुरक्षा की दृष्टि से काफी कम है.

गर्मी के दिनों में लोगों के लिए अब तक नहीं हुआ है पानी का इंतजाम. प्रभात खबर

थाने में अब तक इस बार पीने के पानी की व्यवस्था नहीं

गर्मी की दस्तक के साथ ही पूर्व के थानेदार थाना के बाहरी गेट के समीप मटका में पीने का पानी व अंदर आरओ पानी की व्यवस्था कराते थे. इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल पाया है.

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