बिशुनपुर.
बॉक्साइट नगरी के रूप में विख्यात बिशुनपुर प्रखंड का घोर उग्रवाद प्रभावित व पहाड़ी इलाका में बसे हाड़ुप गांव में जाने वाली सड़क बनेगी. इसके लिए गुमला प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है. हाड़ुप गांव तक जाने के लिए 9.11 किमी सड़क बनेगी. इसके लिए जिला स्तर से डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार को भेज दिया गया. जल्द उक्त सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा. बताते चलें कि कुछ माह पहले उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने अपने क्षेत्र भ्रमण के क्रम में बिशुनपुर प्रखंड के हाड़ुप गांव का दौरा किया था, जहां 20 आदिम जनजाति परिवार वाले अति सुदूरवर्ती क्षेत्र स्थित हाड़ुप ग्राम तक जाने के लिए कई किमी तक की जर्जर मार्ग को पार कर क्षेत्र तक पहुंचा जा सकता है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण उक्त ग्राम तक पहुंचने में अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ता है. उपायुक्त ने हाड़ुप गांव के ग्रामीणों से मुलाकात की, तो ग्रामीणों ने भी इस बात की शिकायत की थी. इस समस्या को देखते हुए उपायुक्त के निर्देश के आलोक में अब उक्त सड़क के निर्माण के लिए प्रस्ताव डीपीआर राज्य सरकार को समर्पित कर दिया गया है. आरइओ विभाग गुमला के कार्यपालक अभियंता विकास कुमार ने जानकारी देते हुए कहा है कि उपायुक्त के निर्देश के आलोक में उक्त ग्राम का सर्वे किया गया है. इसके बाद पीएम-जनमन योजना के तहत सेरका पंचायत के जालिम भाया हाड़ुप गांव तक के लिए कुल 9.11 किमी का सड़क निर्माण के लिए जिला ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल गुमला द्वारा डीपीआर तैयार करते हुए राज्य सरकार को भेज दिया गया है. जिला स्तर से सड़क निर्माण के लिए कागजी प्रक्रिया पूरी कर दी गयी है. उन्होंने कहा है कि राज्य व केंद्र सरकार द्वारा आगे की प्रक्रिया लगभग दो माह के अंदर पूरी करने की संभावना है. इसके बाद सड़क निर्माण की प्रक्रिया संभवतः की जायेगी.चुनाव के समय किया गया था वोट बहिष्कार:
जालिम से हाड़ुप तक सड़क बनाने की मांग को लेकर कई गांवों के लोगों ने लोकसभा चुनाव के समय वोट बहिष्कार किया था. इसके बाद गुमला प्रशासन हरकत में आया था. गांव पहुंच कर ग्रामीणों को सड़क बनाने का आश्वासन देकर ग्रामीणों से वोट डालने की अपील की थी. इसके बाद ग्रामीण आंदोलन वापस लेकर वोट डाले थे. इधर, चुनाव समाप्त होने के बाद प्रशासन ने सड़क बनाने की पहल शुरू कर दी है.प्रभात खबर ने उठाया था गांव का मुद्दा:
हाड़ुप जंगल व पहाड़ के बीच बसा गांव है. आजादी के इतने दिन बाद भी यह क्षेत्र सरकार की नजरों से ओझल रहा है. प्रभात खबर ने गांव की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया था. इसके अलावा ग्रामीणों की मांग को भी अखबारों में प्रकाशित करते हुए प्रशासन व सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है. इसका असर है कि इस क्षेत्र में खुद उपायुक्त जाकर गांव की समस्याओं से अवगत हुए थे. इस गांव की सड़क बन जायेगी, तो इस क्षेत्र की आधी समस्या दूर हो जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है