12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Happy Holi 2021 : अब नहीं दिखती फाग और झूमर नृत्य, खो रही है अपनी धाक

Happy Holi 2021, Jharkhand News (गुमला) : झारखंड में नृत्य और संगीत को ऊंचा स्थान मिला हुआ है. लोकनृत्य सांस्कृतिक जीवन का आधार माना गया है. लेकिन, हम जैसे- जैसे कंप्यूटरवादी युग में अपने आपको शक्तिशाली बनाते जा रहे हैं. हम अपनी संस्कृति को खोते जा रहे हैं. DJ Sound और मोबाइल ने कई बदलाव ला दिया है. इन्हीं में फाग नृत्य और झूमर नृत्य है. कभी इन नृत्यों की झारखंड प्रदेश में अपनी एक धाक हुआ करती थी. लेकिन, आज यह नृत्य अपनी अंतिम सांसें गिन रही है.

Happy Holi 2021, Jharkhand News (गुमला), रिपोर्ट- दुर्जय पासवान : झारखंड में नृत्य और संगीत को ऊंचा स्थान मिला हुआ है. लोकनृत्य सांस्कृतिक जीवन का आधार माना गया है. लेकिन, हम जैसे- जैसे कंप्यूटरवादी युग में अपने आपको शक्तिशाली बनाते जा रहे हैं. हम अपनी संस्कृति को खोते जा रहे हैं. DJ Sound और मोबाइल ने कई बदलाव ला दिया है. इन्हीं में फाग नृत्य और झूमर नृत्य है. कभी इन नृत्यों की झारखंड प्रदेश में अपनी एक धाक हुआ करती थी. लेकिन, आज यह नृत्य अपनी अंतिम सांसें गिन रही है.

नागपुरी कलाकार महावीर साहू ने कहा कि खासकर झारखंड राज्य के गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, लातेहार जिला के अलावा बगल राज्य छत्तीसगढ़ के जशपुर, रायगढ़ और कोरबा जिला में भी यह संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर है. पूर्वजों के समय से चली आ रही इस नृत्य को बचाने का भी कोई प्रयास नहीं हो रहा है. गांवों में भी रौनक खत्म हो रही है. अगर इस अंतिम सांस लेते फाग व झूमर नृत्य को संरक्षण नहीं दिया गया, तो यह आने वाले कुछ सालों में पूरी तरह समाप्त हो जायेगा. इस बात को यहां के बुजूर्ग व कलाकार भी स्वीकार कर रहे हैं.

होली पर्व में नहीं दिखती अब फाग नृत्य की रौनक

फाग नृत्य को फगुआ नृत्य के नाम से भी जाना जाता है. इस नृत्य में गाये जाने वाले गीतों में भगवान शिव और राधा-कृष्ण के अलावा प्रकृति का वर्णन किया जाता है. इस नृत्य का भी अपना एक समय है. जब न गर्मी और न ठंड रहती है. सारा वातावरण खुशनुमा होता है. हर तरफ हरियाली होती है. पलाश और सेमर के लाल- लाल पुष्प चारों ओर खिल उठते हैं. ऐसे में बसंत की बहार खुशियों की सौगात होली के रूप में लाती है. इसी वक्त फाग गीत व नृत्य से वातावरण गूंज उठता है. खासकर सदानों के लिए यह समय अच्छा होता है. अभी नजदीक में होली है. इस विलुप्त होती संस्कृति को बचाने का यह अच्छा अवसर भी है.

Also Read: Happy Holi 2021 : प्राकृतिक रंग शरीर को नहीं पहुंचायेगा नुकसान, डॉ रामलखन बोले- रासायनिक रंग कभी प्राकृतिक रंगों का नहीं हो सकता विकल्प
विलुप्त होने के कगार पर झूमर नृत्य

झूमर पुरुष प्रधान नृत्य है. कुछ स्थानों पर स्त्रियां इसमें भाग लेती है. होली पर्व की समाप्ति के बाद इस नृत्य का नजारा देखने को मिलता है. इसमें भाग लेने वाले पुरुष धोती कुर्ता, अचकन, सिर पर पगड़ी, गले में माला, ललाट पर टीका और कानों में कुंडल पहनते हैं. इस नृत्य में प्रकृति का वर्णन रहता है. लेकिन, आज जिस प्रकार समय बदला है. अाधुनिकता युग में DJ Sound ने जगह लिया है. यह नृत्य विलुप्त होने लगा है. पहले होली और दशहरा पर्व में इस नृत्य का नजारा देखने को मिलता है. दक्षिणी छोटानागपुर में इस नृत्य का प्रचलन खूब था. लेकिन अब धीरे- धीरे यह समाप्त हो रहा है.

आधुनिक सुविधाओं के कारण पारंपरिक नृत्य- संगीत को भूलते जा रही हैं लोग : महावीर साहू

गुमला के नागपुरी कलाकार महावीर साहू ने कहा कि आधुनिक सुविधाओं के कारण पारंपरिक नाचगान कम हो रहा है. हालांकि, कुछ कलाकार अपने कला के प्रदर्शन के वक्त पुरानी परंपराओं को प्रस्तुत करते हैं. सामूहिक आदिवासी नाचगान का आयोजन किया जाता है. जिससे इन विलुप्त होती नृत्यों को संरक्षण दिया जा सके. गांव के बुजुर्ग लोग अगर अपने बच्चों को पूर्वजों के समय से आ रही परंपराओं से अवगत कराते रहेंगे, तो फाग और झूमर नृत्य को बचाया जा सकता है.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें