झारखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बाघमुंडा जलप्रपात में हादसे के बाद गंभीर हुए माननीय, सांसद सुदर्शन भगत ने दिया ये आश्वासन
गुमला (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बाघमुंडा जलप्रपात में हुए हादसे के बाद इसकी सुरक्षा को लेकर पहल करने की कवायद शुरू हो गयी है. लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत ने यहां हुए हादसे पर शोक प्रकट करते हुए पर्यटकों की सुरक्षा समेत अन्य व्यवस्था को लेकर उपायुक्त से बातचीत करने का आश्वासन दिया है. आपको बता दें कि पिछले दिनों रांची के नामकुम का एक परिवार पिकनिक मनाने यहां पहुंचा था. इस दौरान नदी में नहा रहे सात बच्चे बह गये थे. चार बच गये, जबकि तीन बह गये थे. दो का शव बरामद हुआ है. एक की तलाश अब भी की जा रही है.
गुमला (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बाघमुंडा जलप्रपात में हुए हादसे के बाद इसकी सुरक्षा को लेकर पहल करने की कवायद शुरू हो गयी है. लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत ने यहां हुए हादसे पर शोक प्रकट करते हुए पर्यटकों की सुरक्षा समेत अन्य व्यवस्था को लेकर उपायुक्त से बातचीत करने का आश्वासन दिया है. आपको बता दें कि पिछले दिनों रांची के नामकुम का एक परिवार पिकनिक मनाने यहां पहुंचा था. इस दौरान नदी में नहा रहे सात बच्चे बह गये थे. चार बच गये, जबकि तीन बह गये थे. दो का शव बरामद हुआ है. एक की तलाश अब भी की जा रही है.
गुमला जिले का बाघमुंडा जलप्रपात झारखंड का प्रमुख पर्यटन स्थल है. यह बसिया प्रखंड से तीन किमी दूर है. राजधानी रांची से सटे खूंटी व सिमडेगा मार्ग पर है. बाघमुंडा की पहचान तीन दिशाओं से नदी की गिरती जलधारा है. इस जलधारा को बरसात के मौसम में देखने पर काफी मनोरम दृश्य नजर आता है, लेकिन यहां पर्यटकों की सुरक्षा के लिए जो इंतजाम होना चाहिए, वह पर्याप्त नहीं है. यही वजह है कि अक्सर बाघमुंडा में पिकनिक मनाने व घूमने के लिए पहुंचने वाले टूरिस्ट व आम पब्लिक हादसे के शिकार होते रहे हैं.
गुमला जिला प्रशासन द्वारा बाघमुंडा नदी में उतरने के लिए सीढ़ी व नदी के समीप किसी प्रकार की सुरक्षा के लिए रेलिंग नहीं लगायी गयी है. न ही सीढ़ी से उतरने के बाद मैदान में सावधान रहें का बोर्ड ही लगाया गया है. यहां तक कि वाच टावर भी अभी तक नहीं बन पाया है, ताकि नदी में न उतरकर लोग वाच टावर से ही बाघमुंडा के सुंदर नजारा को देख सकें, जबकि पर्यटन स्थलों के लिए विकास के लिए गुमला प्रशासन को लाखों रुपये प्राप्त होते हैं.
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बाघमुंडा जलप्रपात के विकास व लोगों की सुरक्षा के लिए जो संसाधन व उपाय किये जाने चाहिए थे, वो नहीं हो पाया है. बाघमुंडा में सात बच्चे बह गये थे. चार बच्चों को मछली मारनेवालों ने बचा लिया था. वे तीन बच्चों को बचा नहीं पाये. जिसमें दो बच्चों का शव मिला था. एक बच्ची की तलाश अभी भी नदी में हो रही है. अगर यहां गहरी नदी के पहले रेलिंग होती या फिर कोई सुरक्षात्मक बोर्ड लगा रहता तो आज यह हादसा नहीं होता.
खजई नवाटोली से होकर दक्षिणी कोयल नदी बाघमुंडा में तीन दिशाओं से गिरती है. कहा जाता है कि नदी में बाघ देखा गया था. साथ ही यहां अक्सर बाघ पानी पीने आते थे. इस कारण इस जगह का नाम बाघमुंडा पड़ा. यहां के मनमोहक दृश्य के कारण सालोंभर सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है. यह पिकनिक स्पॉट के रूप में विख्यात है. यहां कई जिलों व नजदीक के ओड़िशा, छत्तीसगढ़ व बिहार राज्य के सैलानियों का आगमन होता है. पहाड़ की चोटी से बाघमुंडा जलप्रपात का दृश्य कश्मीर की वादियों का एहसास कराता है. बाघमुंडा के आसपास खूबसूरत वादियां, घने जंगल व ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं.
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गुमला की तत्कालीन उपायुक्त आराधना पटनायक ने बाघमुंडा में वाच टावर, नदी के पहले लोहे की रेलिंग लगाने, सीढ़ी के बगल में रेलिंग सहित कई सुरक्षात्मक उपाय अपनाने की योजना के लिए प्राक्कलन का निर्देश दिया था. इसके लिए प्राक्कलन भी बना था. इसी दौरान उनका गुमला से स्थानांतरण हो गया. इसके बाद से बाघमुंडा के विकास की पहल नहीं हुई. बाघमुंडा के समीप एक मंदिर, चबूतरा, सामुदायिक भवन व सोलर जलजमीनार है. इसका उपयोग भी गांव के लोग करते हैं. पर्यटकों के लिए यहां किसी प्रकार की सुविधा, संसाधन व सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है.
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लोहरदगा से भाजपा सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि बाघमुंडा नदी में बच्चों के डूबकर मरने की घटना मार्मिक है. बाघमुंडा में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए जो उपाय अपनाने चाहिए. वह नहीं है. मैं इस संबंध में पहल करूंगा. गुमला उपायुक्त से बात करता हूं, ताकि प्राक्कलन बनाकर पर्यटन विभाग को भेजा जाये. यहां वाच टावर, नदी व सीढ़ी के समीप रेलिंग जरूरी है.
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गुमला से झामुमो विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि बाघमुंडा की घटना से मैं दुखी हूं. बाघमुंडा का विकास पहले ही हो जाना चाहिए था. पर्यटकों की सुरक्षा के लिए अगर वहां कोई इंतजाम नहीं है, तो यह चिंता की बात है. गुमला प्रशासन को चाहिए कि पर्यटन स्थलों के विकास के लिए जो राशि आती है, उसका उपयोग हो.
Posted By : Guru Swarup Mishra