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गुमला में दिखी इंसानियत, मूकबधिर हिंदू युवती की मौत, मुस्लिम युवक ने दी मुखाग्नि

Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : इंसानियत आज भी जिंदा है. यह हकीकत गुमला में देखने को मिला. एक हिंदू लड़की की मौत के बाद उसके शव को मुस्लिम युवक ने मुखाग्नि दिया. युवती के परिजन नहीं थे. शव को मुखाग्नि कौन देगा. यह सवाल था. लेकिन, तभी डीएलएसए कर्मी मोहम्मद हासिब इकबाल ने मानवता व जाति बंधन से ऊपर उठ कर गुमला के पालकोट रोड स्थित श्मशान घाट में शव को मुखाग्नि दिया. यहां तक कि हासिब ने शव को जलाने के लिए लकड़ी भी रखे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2021 10:05 PM

Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : इंसानियत आज भी जिंदा है. यह हकीकत गुमला में देखने को मिला. एक हिंदू लड़की की मौत के बाद उसके शव को मुस्लिम युवक ने मुखाग्नि दिया. युवती के परिजन नहीं थे. शव को मुखाग्नि कौन देगा. यह सवाल था. लेकिन, तभी डीएलएसए कर्मी मोहम्मद हासिब इकबाल ने मानवता व जाति बंधन से ऊपर उठ कर गुमला के पालकोट रोड स्थित श्मशान घाट में शव को मुखाग्नि दिया. यहां तक कि हासिब ने शव को जलाने के लिए लकड़ी भी रखे.

दस्त के बाद इलाज के क्रम में मौत हुई

गुमला के सिलम नारी निकेतन में रह रही मूकबधिर सुहानी देवी (35 वर्ष) की मौत मंगलवार की सुबह सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी. युवती को दस्त होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज शुरू होने के कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गयी.

युवती की मौत की जानकारी डीएलएसए (जिला विधिक सेवा प्राधिकार) व जिला समाज कल्याण विभाग को हुआ, तो प्रशासन ने शव के अंतिम संस्कार कराने की व्यवस्था की. डीएलएसए कर्मी मो हासिब इकबाल, जोसेफ किंडो व जिला समाज कल्याण के नदीम अख्तर सदर अस्पताल पहुंच कर पूरी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद शाम को पालकोट रोड स्थित मुक्तिधाम ले गये. जहां शव का अंतिम संस्कार किया गया.

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चार साल से नारी निकेतन में थी युवती

समाज कल्याण विभाग, गुमला के प्रधान लिपिक नदीम अख्तर ने बताया कि उक्त युवती मूकबधिर थी और वह नारी निकेतन गुमला में रहती थी. 13 सितंबर 2017 को उस महिला को गोड्डा पुलिस ने नारी निकेतन में भर्ती कराया था. 18 मई 2021 को उसे दस्त हो गया. जिसके बाद नारी निकेतन के द्वारा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान 12:30 बजे उसकी मौत हो गयी.

मैंने सिर्फ अपना फर्ज निभाया : हासिब

मुखाग्नि देने के बाद मोहम्मद हासिब इकबाल ने कहा कि जिसका कोई नहीं होता है. उसके लिए ऊपर वाला किसी न किसी को भेज देता है. मैं एक जरिया हूं. मैं किसी प्रकार के जाति बंधन को नहीं मानता हूं. मैंने सिर्फ अपना फर्ज निभाया.

Posted By : Samir Ranjan.

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