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सरकार मांग नहीं मानती है, तो गुमला से रांची करेंगे आंदोलन

कुड़ुख भाषा संघर्ष समिति समेत आदिवासी संगठनों ने निकाली रैली, दिया धरना

गुमला.

कुड़ुख भाषा संघर्ष समिति गुमला, 22 पड़हा समेत कई आदिवासी संगठनों ने आदिवासियों की भाषा कुड़ुख के स्थान पर क्षेत्रीय भाषा नागपुरी करने पर गुमला में रैली निकाली व कचहरी परिसर में धरना दिया. मौके पर शिवनंदन उरांव, महेंद्र उरांव, डॉ तेतरू उरांव, जीतेश मिंज, देवेंद्र उरांव, विश्वनाथ उरांव, नेलशन भगत ने कहा कि कि गुमला जिला पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है, जिसमें 70 प्रतिशत आबादी कुड़ुख बहुल क्षेत्र है, जहां 70 प्रतिशत कुड़ुख विद्यार्थी पढ़ते हैं. उनकी मातृभाषा कुड़ुख है और संविधान के अनुच्छेद 350 (क) में प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है. वहीं नयी शिक्षा नीति 2020 में भी प्राथमिक स्तर पर नयी शिक्षा मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है. परंतु सरकार की उदासीनता से प्राथमिक विद्यालयों में जो की कुड़ुख व जनजातीय बहुल क्षेत्र है, वहां नागपुरी व संस्कृत को जबरदस्ती षड्यंत्र के तहत आदिवासियों को पढ़ने पर मजबूर किया जा रहा है, जिसे कुड़ुख भाषा संघर्ष समिति कभी स्वीकार नहीं करेगी. समिति सरकार से मांग करती है कि जितने भी आदिवासी बहुत क्षेत्र हैं, जहां पर जनजातीय भाषा कुड़ुख, खड़िया, संथाल, हो आदि भाषा जिनकी जनसंख्या अधिक है, वहां कुड़ुख भाषा के शिक्षक का पद सृजन कर बहाल किया जाये, तभी आदिवासियों की भाषा को संरक्षण व संवर्धन किया जा सकता है. बिना सर्वे व बिना बोलने वाले बच्चे को भी संस्कृत पढ़ाया जा रहा है. इस तरह कुड़ुख भाषा को भी सभी स्कूलों में पढ़ाया जाये. सरकार द्वारा निर्गत फॉर्मेट को भाषा के स्थान पर नामांकित विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर पद सृजित किया जाये. वक्ताओं ने कहा है कि अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है, तो गुमला से लेकर रांची तक उग्र आंदोलन होगा. मौके पर पादा पड़हा झारखंड, मूली पड़हा गुमला, अखिल भारतीय उरांव समन्वय समिति, झारखंड इकाई, सरना समिति आदर्श नगर फसिया, कुड़ुख भाषा सांस्कृतिक पुनरुत्थान केंद्र बम्हनी, आदिवासी सरना समाज उत्थान सुरक्षा संगठन, कुड़ुख भाषा विकास परिषद, कुड़ुख भाषा शिक्षक संघ इकाई, आदिवासी सहयोग फौजी पुलिस संगठन, आदिवासी शिक्षा दीक्षा संस्थान जोड़ाटांड़ देवनगर, कैथोलिक महासभा महिला एवं युवक संघ, झारखंड जनाधिकार महासभा के सदस्य मौजूद थे. धरना-प्रदर्शन के बाद डीसी को ज्ञापन सौंपा गया.

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