गुमला : गुमला में एक विधवा बहू ने बेटे का फर्ज निभाते हुए अपनी सास सुगिया बैगाइन को मुखाग्नि दी. शहर के डीएसपी रोड निवासी आंगनबाड़ी सेविका लक्ष्मी देवी ने परंपरा के विपरीत जाकर इस काम को अंजाम दिया. सास की मुखाग्नि के समय बहू को अपने ही समाज के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन वह समाज के लोगों से लड़ते हुए अपनी सास की अंतिम संस्कार में शामिल हुई.
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सुगिया बैगाइन के निधन के बाद जब घर से सास की अंतिम यात्रा आदिवासी समाज के पंचमुखी मंदिर के समीप बने आदिवासी श्मशान घाट के लिए निकली, तो वहां उनके साथ सैकड़ों आदिवासी समाज के लोग साथ थे. मृतका को मुखाग्निी देने की बात पर विवाद हो गया था. सभी की बातों को काटते हुए लक्ष्मी देवी ने स्वयं अपनी सास को मुखाग्नि देने की बातें कही. जिस पर अंतिम संस्कार में जुटे लोगों के होश उड़ गये.
लोगों ने लक्ष्मी से कहा कि आज तक कभी भी पूर्वजों द्वारा बनायी गयी रीति- रिवाज में ऐसा नहीं हुआ है, तो आज कैसे होगा. इस पर लक्ष्मी देवी ने कहा कि वर्तमान समय में बेटियां किसी से कम नहीं हैं. वह पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर हर क्षेत्र में काम कर रही है, तो यह कार्य क्यों नहीं कर सकती है. जिस पर थोड़ा विवाद बढ़ गया था. उसके बावजूद सभी रीति- रिवाज को करते हुए लक्ष्मी देवी ने अपनी सास को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया.
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बता दें कि डीएसपी रोड निवासी लक्ष्मी देवी बड़ाइक मुहल्ला की आंगनबाड़ी सेविका है और वह नि:संतान है. उसके पति निर्मल बैगा की मौत बीमारी के कारण नौ अप्रैल, 2008 को हो गयी थी. पति की मौत के बाद वह अपनी सास सुगिया बैगाइन के साथ रहती थी. सात मई, 2020 को अपराह्न पौने एक बजे उसकी सास सुगिया बैगाइन (75) का निधन हो गया था.