गुमला के सिसई में दो परिवारों ने बदला धर्म, ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार कर उनके घरों में की तालाबंदी
गुमला के सिसई में दो परिवार के लोगों के धर्म परिवर्तन करने पर ग्रामीणों द्वारा सामाजिक बहिष्कार और घरों में तालाबंदी करने का मामला सामने आया है. पुलिस की मौजूदगी में ग्रामीणों की बैठक हुई. इस बैठक में धर्म परिवर्तन करने वाले दो परिवार अपने निर्णय पर अड़े रहे. इससे ग्रामीण काफी नाराज दिखे.
Jharkhand news: गुमला के सिसई क्षेत्र में धर्म परिवर्तन के आरोप में दो परिवार को सामाजिक बहिष्कार कर उनके घरों में तालाबंदी कर गांव से निकालने का मामला प्रकाश में आया है. इसको लेकर शनिवार को शिवनाथपुर डाहूटोली गांव में बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में पुलिस प्रशासन के अलावा पंचायत जनप्रतिनिधि और काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.
बैठक में मामला सुलझाने का प्रयास, पर नहीं बनी बात
इस बैठक में एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल, इंस्पेक्टर एसएन मंडल, जिप सदस्य विजय लक्ष्मी कुमारी, बीडीओ सुनीला खलखो, सीओ अरुणिमा एक्का, सिसई थानेदार अनिल लिंडा, पुसो थानेदार मिचराय पाडेया, मुखिया शिवनाथपुर फ्लोरेंस देवी, मुखिया घाघरा इंद्रपाल भगत, तीन गांव के ग्रामसभा, पड़हा के राजा, बेल, कोटवार सहित दर्जनों गांव के हजारों ग्रामीणों के साथ बैठक कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया. लेकिन, आरोपी परिवार अपने निर्णय पर अड़ा रहा.
ग्रामीणों ने सुनाया फरमान
बैठक में आरोपी स्वर्गीय जटा उरांव की पत्नी बिरसमुनी उरांव एवं उसके छह बच्चों तथा बंधन उरांव, उनकी पत्नी राजमुनी उरांव एवं पांच बच्चों को बैठक में बुलाकर समझाने का प्रयास किया गया. लेकिन, उन्होंने अपने दूसरे धर्म को अपनाते हुए जीवन बिताने का जिद पर आड़े रहे. जिस पर प्रशासन के लाख समझाने के बावजूद बैठक में मौजूद लोगों ने जमीन जगह से बेदखल करने और गांव में नहीं रहने देने का फैसला सुनाया. सात घंटे की लंबी बैठक के बाद प्रशासन गांव से बहिष्कार किये गये परिवार को थाने ले गयी.
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पांच बार बैठक कर परिवार को समझाया गया
ग्रामीणों ने बताया कि दोनों परिवार गांववालों से छुप- छुपकर प्रार्थना करने जाया करते थे. जब ग्रामीणों को इसकी जानकारी हुई, तो पूर्व में पांच बार बैठक कर दोनों परिवार के सदस्यों को समझाया था. फिर भी वे प्रार्थना करने जाया करते थे. पूर्व की एक बैठक में बीडीओ और सीओ भी उपस्थित थे. बुधवार को पुनः समाज की बैठक सुबह 11 बजे रात 9.00 बजे तक गांव में हुई थी. लेकिन दोनों परिवार बैठक में शामिल नहीं हुए. जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार की घोषणा करते हुए दोनों के घरों में ताला बंदी कर गांव से खदेड़ दिया था. तब से पीड़ित परिवार थाने में शरण लिए हुए थे.
धर्म परिवर्तन कराने वाले लोगों पर कार्रवाई
बैठक में उपस्थिति लोगों ने कहा कि जब भगत ओझा पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है, तो धर्म बदलने वाले एवं प्रार्थना कराने वाले धर्म गुरुओं पर कार्रवाई क्यों नहीं कि जाती है. सरना समाज के भोले-भाले गरीब लोगों को प्रलोभन और बहला- फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की मांग किया है. मौके पर सात पड़हा लरंगो के रंथु उरांव, मंगल उरांव, जीतू उरांव, परदेशिया उरांव, 22 पड़हा अताकोरा के बुधू उरांव, जिरकू उरांव, बंधनु उरांव, 22 पड़हा अरको से सोमरा उरांव, नौ पड़हा सियांग के बुधराम उरांव, सात पड़हा शिवनाथपूर से इन्द्रपाल उरांव, सात पड़हा चेगरी से महादेव उरांव, सात पड़हा लवागाई से बुद्धेश्वर उरांव, सात पड़हा सेमरा से बिरसा उरांव, सात पड़हा कोड़ेदाग से मटकु उरांव, सात पड़हा कुर्गी से बिहारी उरांव, सात पड़हा खेर्रा से सोमा उरांव, सहित कई लोग थे.
Posted By: Samir ranjan.