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गुमला में 92 वर्षों से मनायी जा रही जन्माष्टमी, कोरोना के कारण नहीं होगा किसी तरह का धार्मिक आयोजन

गुमला जिले में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 92 वर्षों से मनाया जा रहा है. जब देश गुलाम था. तब से गुमला में भगवान की पूजा होते आ रही है. गुमला में जन्माष्टमी की पूरी तैयारी हो गयी है.

गुमला : गुमला जिले में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 92 वर्षों से मनाया जा रहा है. जब देश गुलाम था. तब से गुमला में भगवान की पूजा होते आ रही है. गुमला में जन्माष्टमी की पूरी तैयारी हो गयी है. परंतु कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह दूसरा वर्ष होगा. जब जन्माष्टमी पर्व सादगी से मनाया जायेगा. किसी भी मंदिर में बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं है. सोशल डिस्टैंस के तहत पूजा पाठ होगी. हालांकि लोगों ने घरों में जन्माष्टमी पर्व मनाने की पूरी तैयारी की है.

गुमला शहर के रौनियार मंदिर, गोपाल मंदिर, श्रीबड़ा दुर्गा मंदिर, बड़ाइक मुहल्ला स्थित राम मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. शहर के लोहरदगा रोड स्थित श्री गोपाल मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां करीब 92 वर्षों से श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनायी जा रही है. 1980 में वे इस मंदिर के पुजारी बने हैं. उससे पूर्व से ही यहां के लोग जन्माष्टमी मनाते आ रहे हैं.

1980 से गोपाल मंदिर समिति द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विस्तार होता चला गया. वहीं पालकोट रोड स्थित रौनियार मंदिर में आजादी से पूर्व से ही जन्माष्टमी पूजा का आयोजन किया जाता था. समाज के प्रवक्ता दीपक कुमार गुप्ता ने बताया की शुरूआती समय से बच्चों द्वारा झांकी निकाला जाता रहा है. 1982 ईस्वी से भव्य आयोजन के माध्यम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाने लगा. जिसमें बाहर के कलाकार संगीत प्रस्तुत करते हैं. परंतु इसबार साधारण तरीके से पूजा होगी. अहीर यादव समाज के लोगों द्वारा 1947 ईस्वी आजादी से पूर्व सरना टोली में जन्माष्टमी मनाया जाता था. विगत छह वर्षो से श्रीबड़ा दुर्गा मंदिर में जन्माष्टमी मनाया जाने लगा.

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