प्रभात खबर विशेष : झारखंड के गुमला के 3750 किसानों को अनुदान पर मिलेगी ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई मशीन

Jharkhand Agriculture News, Gumla News, गुमला (जगरनाथ) : गुमला जिला कृषि कार्यालय द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जिले के 3750 किसानों को ड्रिप सिंचाई मशीन एवं स्प्रिंकलर सिंचाई मशीन से लाभान्वित करने की योजना है. ड्रिप सिंचाई मशीन की कीमत लगभग 57 हजार एवं स्प्रिंकलर सिंचाई मशीन की कीमत लगभग 46 हजार रुपये है. जिसे लघु एवं सीमांत किसानों को 90 प्रतिशत एवं अन्य किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जायेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2021 11:46 AM

Jharkhand Agriculture News, Gumla News, गुमला (जगरनाथ) : गुमला जिला कृषि कार्यालय द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जिले के 3750 किसानों को ड्रिप सिंचाई मशीन एवं स्प्रिंकलर सिंचाई मशीन से लाभान्वित करने की योजना है. ड्रिप सिंचाई मशीन की कीमत लगभग 57 हजार एवं स्प्रिंकलर सिंचाई मशीन की कीमत लगभग 46 हजार रुपये है. जिसे लघु एवं सीमांत किसानों को 90 प्रतिशत एवं अन्य किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जायेगा.

लघु सीमांत किसानों को कृषि विभाग से मशीनों को खरीदने के लिए मशीन की कीमत का महज 10 प्रतिशत एवं अन्य किसानों को 20 प्रतिशत रुपया लगाने की जरूरत है. जिला कृषि पदाधिकारी सह आत्मा परियोजना के निदेशक सत्यनारायण महतो ने बताया कि खेतों में लगी फसलों पर पानी पटवन के लिए ड्रिप सिंचाई मशीन एवं स्प्रिंकलर सिंचाई मशीन एक उत्तम तकनीक है. इससे पानी की काफी बचत होती है. साथ ही कम पानी में ही फसलों में अच्छी तरह से पानी का पटवन भी हो जाता है. मशीन लेने के लिए किसान कंपनियों के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि ड्रिप सिंचाई मशीन की मदद से पानी की काफी बचत होती है. इससे बूंद-बूंद कर पेड़-पौधों के जड़ों के पास पानी को टपकाया जाता है, ताकि पेड़-पौधों को जितनी पानी की आवश्यकता है. उतनी पानी मिल सके.

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इस तकनीक की मदद से पानी के साथ उर्वरकों को भी दिया जाता है. इसकी मदद से उर्वरकों को सीधा पौधों के जड़ क्षेत्र तक पहुंचाया जाता है. ड्रिप सिंचाई विधि परंपरागत सतही सिंचाई विधि से काफी उपयोगी माना गया है. क्योंकि परंपरागत सतही सिंचाई विधि में पानी का उचित उपयोग नहीं हो पाता है. क्योंकि इस विधि में पानी जो की पौधों को मिलनी चाहिये. वे पानी जमीन में रिस कर या तो फिर वाष्पीकरण द्वारा व्यर्थ हो जाता है. परंतु ड्रिप सिंचाई पद्धति में ऐसा नहीं होता है. वहीं स्प्रिंकल विधि से सिंचाई में पानी को छिड़काव के रूप में किया जाता है. इससे पौधों पर पानी बारिश की बूंदों की तरह पड़ती है. पानी की बचत और फसल की उत्पादकता के हिसाब से स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति ज्यादा उपयोगी माना गया है. चना, सरसो और दलहनी फसलों के लिए यह विधि काफी उपयोगी है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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