Jharkhand Assembly Election 2024: बागियों के मैदान में डटे रहने से चुनावी हलचल तेज, बिगड़ सकता है खेल

बागियों के मनाने में राज्य के कई बड़े नेता लगे हुए हैं, लेकिन बागी मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं. मिशिर कुजूर ने नामांकन भी कर दिया है. रोशन बरवा चुनाव मैदान से हटने को तैयार नहीं हैं.

By Nitish kumar | October 28, 2024 8:25 AM

Jharkhand Assembly Election 2024|गुमला|दुर्जय पासवान: गुमला जिले में सिसई, गुमला व बिशुनपुर तीन विधानसभा सीट है. इस बार बागियों ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. बागियों के मनाने में राज्य के कई बड़े नेता लगे हुए हैं, लेकिन बागी मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं. इन्हीं बागियों में भाजपा के युवा नेता मिशिर कुजूर हैं. टिकट में पहले नंबर पर चल रहे थे, परंतु टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गये.

भाजपा के कई बड़े नेताओं ने समझाने का किया प्रयास

मिशिर कुजूर ने नामांकन भी कर दिया है. हालांकि, उन्हें भाजपा के कई बड़े नेताओं ने समझाने का प्रयास किया, परंतु वे नहीं माने. प्रभात खबर से बात करते हुए मिशिर कुजूर ने कहा कि वे चुनाव मैदान से नहीं हटेंगे. उनका निर्णय अटल है. जनता ने उन्हें खड़ा किया है. जनता की उम्मीदों पर पानी नहीं फेरेंगे. मिशिर ने कहा है कि गुमला विस क्षेत्र के लोग पूरी तरह तैयार हैं. इस बार कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि निर्दलीय चुनाव जीत कर गुमला विधानसभा में इतिहास रचेंगे. उन्होंने कहा कि मैं क्षेत्र में लोगों के बीच जा रहा हूं. मुझे लोगों का पूरा साथ मिल रहा है. चुनाव लड़ने के लिए पैसा कहां से आयेगा. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि जिसके साथ जनता है, उसे किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. जनता व दोस्तों के सहयोग से मैं चुनाव लड़ रहा हूं.

वहीं, कांग्रेस के सिसई विस उम्मीदवार रोशन बरवा को भी कई लोगों ने मनाने का प्रयास किया, परंतु वे चुनाव मैदान से हटने को तैयार नहीं हैं. रोशन बरवा ने कहा है कि उन्होंने निर्दलीय नामांकन कर चुनावी दौरा शुरू कर दिया है. किसी भी कीमत पर चुनाव मैदान से नहीं हटेंगे. जनता ने मुझे चुनाव मैदान में खड़ा किया है. इसलिए मैं उनके साथ धोखा नहीं करूंगा.

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इधर, बिशुनपुर विधानसभा से शिव कुमार भगत टुनटुन ने भी निर्दलीय नामांकन कर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. शिव कुमार भगत कांग्रेस के बड़े नेता हैं. साथ ही पूर्व में भी बिशुनपुर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं. टुनटुन को भी कई नेताओं ने मनाने का प्रयास किया, पर वे नहीं माने.

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