बस संचालन में छूट मिलने के बाद गुमला से चली सिर्फ 12 बसें, रोजाना चलती है 170 बसें

जिसमें पांच, सात, दस व 12 सवारी लेकर बसें चली है. वहीं उन्होंने कहा कि डीजल की दर में वृद्धि होने से बस मालिकों को काफी परेशानी हो रही है. बस ऑनर एसोसिएशन रांची की बैठक हुई है. डीजल की दर वृद्धि को लेकर विभिन्न जगह आवागमन करने की दर का निर्धारण होगा. उन्होंने बताया कि शुक्रवार को लगभग 30 बसों का परिचालन होगा. धीरे धीरे सरकार के निर्देश पर लगभग 100 बसें गुमला जिला में राज्य के अंदर आवागमन करेगी.

By Prabhat Khabar News Desk | July 2, 2021 12:34 PM

गुमला : बस एसोसिएशन गुमला के सचिव महेश कुमार लाल ने कहा कि एक जुलाई से झारखंड सरकार द्वारा राज्य में ही बसों के परिचालन की छूट देना सराहनीय पहल है. गुमला जिला में 170 बसों के पहिए लॉकडाउन में थमे हुए थे. वहीं बसों से जिनके घर के चूल्हा जलता था. उनको सबसे अधिक आर्थिक मार झेलनी पड़ रही थी. उन्होंने बताया कि गुरुवार को गुमला से 12 बसें चली है.

जिसमें पांच, सात, दस व 12 सवारी लेकर बसें चली है. वहीं उन्होंने कहा कि डीजल की दर में वृद्धि होने से बस मालिकों को काफी परेशानी हो रही है. बस ऑनर एसोसिएशन रांची की बैठक हुई है. डीजल की दर वृद्धि को लेकर विभिन्न जगह आवागमन करने की दर का निर्धारण होगा. उन्होंने बताया कि शुक्रवार को लगभग 30 बसों का परिचालन होगा. धीरे धीरे सरकार के निर्देश पर लगभग 100 बसें गुमला जिला में राज्य के अंदर आवागमन करेगी.

कोचिंग संस्थानों को खोलने की अनुमति दे सरकार :

जिला मुख्यालय स्थित गुरुकुल कोचिंग संस्थान के निदेशक रविंद्र सिन्हा ने सरकार से कोचिंग संस्थानों को शीघ्र खोलने हेतु अनुमति देने की मांग की. उन्होंने कहा कि नये नियमों के अनुसार अब अनेक क्षेत्रों से पाबंदियां हटा दी गयी है. जब बाजार, मॉल, जिम, बस, सिनेमाघर और अन्य दुकानें खोलने की अनुमति सरकार ने दी है, तो ऐसे में कोचिंग संस्थानों को बंद रखने का आदेश संस्थान के संचालक और उससे जुड़े शिक्षकों और अन्य कर्मियों के लिए एक चिंताजनक बात है.

राज्य में लगभग सभी कोचिंग किराये के मकानों में संचालित है. ऐसे में अब संचालकों के सामने कोचिंग का किराया भरने की गंभीर चिंता बनी हुई है. क्योंकि कोरोना के प्रथम चरण में भी एक साल कोचिंग संस्थानों के बंद रहने से संचालको की हालत दयनीय हो गयी है और अब आगे कुछ दिन भी कोचिंग के बंद होने से सभी शिक्षकों के समक्ष बेरोजगारी और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. संस्थान बंद रहने से न तो बिजली का बिल माफ होगा और न ही मकान का किराया.

साथ ही आने वाले समय में जो भी प्रतियोगिता परीक्षाएं आयोजित की जायेगी. उसके लिए छात्रों के पास तैयारी का अवसर बिल्कुल भी नहीं रह जायेगा. उन्होंने कम से कम सीनियर स्तर तक के कोचिंग संस्थानों को जल्द से जल्द खोले जाने की मांग की है.

Next Article

Exit mobile version