झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड में 30 से अधिक अवैध बंगला ईंट भट्ठा चल रहा है. जबकि तीन अवैध चिमनी भट्ठा है. यहां बड़े पैमाने पर ईंट का कालाधंधा हो रहा है. इस धंधे में कई बड़े माफिया व नेता भी शामिल हैं. सबसे बड़ी बात, जितना ईंट भटठा चल रहा है. इसमें जंगल की लकड़ी का उपयोग हो रहा है. जंगल से अवैध रूप से पेड़ों को काट कर ईंट पकाने में उपयोग हो रहा है.
ईंट भटठा चलाने व जंगलों से पेड़ काटने का अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है. इस अवैध कारोबार का तार गुमला से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य से सटे जशपुर जिला तक जुड़ा हुआ है. जारी प्रखंड के गोविंदपुर इलाके में सबसे अधिक बंगला ईंट भटठा चल रहा है. बताया जा रहा है कि एक ईंट भटठा हर साल 40 से 50 लाख रुपये का कारोबार करते हैं. हालांकि इसमें कमाई का हिस्सा कई जगह बंटता है.
इस कारण जारी प्रखंड में कभी किसी ने कार्रवाई नहीं की. बंगला ईंट भटठा के कारण ही इस क्षेत्र में लकड़ी माफिया भी अधिक हैं. कई माफिया जंगल से पेड़ों को काट कर भटठा मालिकों को बेचते हैं. जबकि कुछ भटठा मालिक खुद जंगलों से पेड़ काटते हैं और उस लकड़ी का उपयोग ईंट पकाने में करते हैं. गुमला, जारी व चैनपुर के कुछ फर्जी पत्रकारों का भी इन ईंट भटठों से अच्छी सेटिंग हैं और वे हर महीने पत्रकार धौंस दिखा कर अपना कमीशन वसूलते हैं.
जारी के एक समाजसेवी ने बताया कि जारी प्रखंड में ईंट भटठा का संचालन अवैध चल रहा है. इसकी जानकारी गुमला से लेकर जारी प्रखंड के अधिकारियों तक है. परंतु कभी भी कार्रवाई नहीं हुई है. अवैध बंगला ईंट भटठा के कारण इस क्षेत्र में प्रदूषण भी अधिक बढ़ रहा है. यहां अधिकांश ईंट भटठा नदियों के किनारे स्थापित किया गया है. ताकि पानी की उपलब्धता आसानी से हो सके.