गुमला : चैनपुर प्रखंड के कुरूमगढ़ थाना स्थित बूढ़ीकोना गांव में एक एकड़ खेत में लगी अफीम की फसल को पुलिस ने गुरुवार को नष्ट किया. खेत अरूण उरांव का है. उसके खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज की है. बताया जा रहा है कि भाकपा माओवादियों द्वारा अफीम की खेती करायी जा रही थी. हालांकि नक्सलियों द्वारा खेती करायी जा रही थी या नहीं.
इस संबंध में पुलिस अभी कुछ भी कहने से इंकार कर रही है. पुलिस के अनुसार अफीम की खेती में नक्सलियों के हाथ होने की जांच की जा रही है. जानकारी के अनुसार बूढ़ीकोना गांव भाकपा माओवादियों का सेफ जोन है. इस क्षेत्र में भाकपा माओवादी पुलिस से बचने के लिए छिपते हैं.
यहां तक कि नक्सली गतिविधि के कारण पुलिस भी कभी कभार इस क्षेत्र में घुसती है. इसलिए बूढ़ीकोना गांव में लंबे समय से अफीम की खेती की जा रही थी. बुधवार को पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि बूढ़ीकोना में अफीम की खेती हो रही है. इस सूचना के बाद एसडीपीओ सिरिल मरांडी, कुरूमगढ़ थाना प्रभारी नितिश कुमार, पुलिस बल व सैट के जवान बूढ़ीकोना गांव पहुंचे.
इसके बाद वीडियो रिकॉर्डिंग करते हुए सभी फसलों को नष्ट कर दिया गया. बताया जा रहा है कि एक एकड़ में लगी अफीम की फसल की कीमत करीब 30 लाख से 40 लाख रुपये है. पुलिस ने सभी फसलों को नष्ट करने के बाद गांव के कई लोगों से अफीम की खेती के बारे में पूछताछ की. परंतु ग्रामीण कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं.
गुमला के कामडारा इलाके में बृहत पैमाने पर अफीम की खेती नक्सलियों द्वारा करायी जाती रही है. परंतु पुलिस के दबिश के बाद इस क्षेत्र में अफीम की खेती रूक गया है. परंतु अब नक्सली कुरूमगढ़ इलाके को अपना सुरक्षित जोन बनाकर अफीम की खेती करने लगे हैं. हालांकि अफीम की खेती में किस संगठन का हाथ है.
इसका पुलिस पता नहीं लगा पायी है. परंतु क्षेत्र में भाकपा माओवादियों की गतिविधि के कारण पुलिस का संदेह इसी संगठन पर है.
चैनपुर अनुमंडल के एसडीपीओ सिरिल मरांडी ने कहा कि लगभग एक एकड़ जमीन में अफीम की खेती की जा रही थी. जिसकी कीमत 30 लाख रुपये है. उन्होंने बताया कि जिस जमीन में अफीम की खेती की जा रही थी. उक्त जमीन अरूण उरांव की है. जिसकी जांच की जा रही है. छानबीन के बाद ही खेती किसके द्वारा कराया गया है. इसकी पुष्टि की जा सकती है.
Posted By: Sameer Oraon