Jharkhand Election: आजादी के 77 साल बाद भी सरकारी योजनाओं से है महरूम यह गांव

यह गांव घोर उग्रवाद प्रभावित व दूरस्थ इलाका है. आजादी के 77 साल बाद भी यह गांव सरकारी योजनाओं से महरूम है. सरकार व प्रशासन ने कभी इस गांव के विकास पर ध्यान नहीं दिया.

By Nitish kumar | October 20, 2024 10:02 AM

Jharkhand Election, गुमला, दुर्जय पासवान: गुमला जिले के रायडीह प्रखंड की उपरखटंगा पंचायत में लुरूकोना गांव है. यह गांव घोर उग्रवाद प्रभावित व दूरस्थ इलाका है. आजादी के 77 साल बाद भी यह गांव सरकारी योजनाओं से महरूम है. सरकार व प्रशासन ने कभी इस गांव के विकास पर ध्यान नहीं दिया. इस गांव में लगभग 100 परिवार निवास करते हैं. करीब एक हजार आबादी है. परंतु, इस गांव तक जाने के लिए सड़क व नदी पर पुल नहीं है. इस कारण लोग जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर आना-जाना करते हैं

विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देंगे

बरसात में यह गांव टापू बन जाता है. गर्भवती व बीमार मरीज को खटिया में सुला कर नदी पार कराया जाता है. इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है. इस गांव में स्कूल भी नहीं है. बच्चे किसी प्रकार नदी पार कर ऊपरखटंगा स्कूल आते हैं. ग्रामीणों ने गांव की समस्या को लेकर कई बार गुमला डीसी को आवेदन सौंपा. परंतु, गावं की समस्या दूर करने की पहल नहीं की गयी है. इस बार ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि अगर सड़क, पुल व स्कूल बनाने का ठोस आश्वासन नहीं मिलता है, तो विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देंगे.

ग्रामीण सुखराम मुंडा ने बताया कि हमलोग गांव की समस्या दूर करने की मांग करते-करते थक गये हैं. इसलिए अब गांव के विकास के लिए हमलोग गांव में ही चरणबद्ध आंदोलन करेंगे. आंदोलन की पहली कड़ी में विधानसभा चुनाव में लुरूकोना गांव से कोई भी वोटर बूथ नहीं जायेगा. साथ ही वोटिंग के दिन गांव में ही धरना देंगे. इधर, सीएफटीयूआइ के प्रदेश सचिव जुम्मन खान ने कहा है कि गांव के लोग गरीबी में जी रहे हैं. मजदूरों का पलायन जारी है. क्योंकि, प्रशासन की ओर से गांव के विकास के लिए कभी पहल नहीं की गयी. उन्होंने गांव का दौरा किया था.
लुरूकोना गांव के लोगों की जिंदगी संकट में गुजर रही है. इसलिए अधिकारी एक बार गांव का दौरा कर यहां की समस्या देखें और गांव की समस्या दूर करने की पहल करें. नहीं तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे.
मनराज मुंडा, ग्रामीण, लुरूकोना

लुरूकोना गांव जाने के रास्ते पर बरखोईर व घोड़ा पत्थल के बीच नदी है, जहां पुल नहीं है. अगर पुल बन जाता, तो कई गांवों को लाभ मिलेगा. गांव में सड़क की भी जरूरत है. कई बार अनुशंसा की गयी, परंतु बनी नहीं.

जीवंती खेस, वार्ड सदस्य

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