Loading election data...

Jharkhand Foundation Day 2021: गुमला में कई सपनें अभी भी हैं अधूरे, बदलाव की उम्मीदों में जी रहे लोग

15 नवंबर को झारखंड 21 साल का हो जायेगा. राज्य में कई विकास योजनाएं चल रही है. लेकिन, शहीदों की धरती गुमला में आज भी कई योजनाएं अधूरी है. आज भी यहां के लोग बदलाव की उम्मीद के साथ जी रहे हैं. भले ही जिले में कार्य हुआ हो, लेकिन कई समस्याएं आज भी विद्यमान है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2021 8:17 PM

Jharkhand Foundation Day 2021 (दुर्जय पासवान, गुमला) : जरूर हम नये दौर में हैं. लेकिन, अभी भी कुछ सपनें अधूरे हैं. कुछ सफर अभी भी बाकी है. जिसे तय करना है. मंजिल को पाना है. 15 नवंबर को झारखंड 21 साल को हो जायेगा. इन 21 सालों में झारखंड में क्या बदलाव आया. यह हम सभी वाकिफ हैं. झारखंड गठन के बाद गुमला जिले ने विकास का सफर कहां तक तय किया. यह हमारे गुमला जिला की सवा 12 लाख जनता के लिए मायने रखती है. अगर हम नजरें उठाकर देंखे, तो आज भी गुमला कई मामलों में पीछे है.

पिछड़ेपन इसकी पहचान बनी हुई है. इसलिए गुमला को पिछड़ा जिला में शामिल किया गया है. ताकि यहां सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारकर विकास की लकीर खींची जा सके. हालांकि, गुमला प्रशासन लगातार जिले के विकास के लिए प्रयासरत है, लेकिन विकास के लिए बेहतर प्लानिंग की कमी है. यही वजह है कि गुमला में जिस तेजी से विकास के काम होना चाहिए. नहीं हो पा रहा है. आज भी लोग सरकारी योजनाओं को तरस रहे हैं.

चुनौतियों का सामना कर रहा गुमला जिला

गुमला शहीदों की भूमि है. खनिज संपदाओं से परिपूर्ण है. गुमला 18 मई 1983 को रांची से अलग होकर जिला बना. गुमला जिला 5327 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है. कुल जनसंख्या 12,46,249 है. जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 6,25,292 व महिला जनसंख्या 6,20,957 है. लिंगानुपात 993 प्रति हजार पुरुष है. गुमला जिले में 12 प्रखंड और 3 अनुमंडल गुमला, चैनपुर व बसिया है. पंचायतों की संख्या 159 है. राजस्व गांव 952 है. दो राजस्व गांव बेचिरागी है.

Also Read: PM मोदी झारखंडवासियों को समर्पित करेंगे भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय, जानें इसकी खासियत

गुमला शहरी क्षेत्र में एक नगर परिषद है. जिसकी आबादी 51307 है. जिले में कृषि योग्य भूमि 3.296 लाख व वन क्षेत्र 1.356 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है. खनिज के रूप में बॉक्साइड है. लेकिन, कारखाना नहीं है. गुमला गांवों में बसा है. यहां के लोग जीविका के लिए खेती-बारी, घरेलू उद्योग धंधे व मजदूरी करते हैं. गुमला के बगल में लोहरदगा, सिमडेगा, रांची व लातेहार जिला का बॉर्डर सटता है. यह छत्तीसगढ़ व ओड़िशा राज्य का प्रवेश द्वार है. उग्रवाद, पलायन, गरीबी, अशिक्षा, सिंचाई, बेरोजगारी जैसी कई चुनौतियों का सामना करते हुए गुमला आगे बढ़ रहा है. लेकिन, गुमला के कुछ हालात ऐसे हैं. जिसे बदलना है. जरूरत है, आपके अच्छी सोच की. जिससे गुमला झारखंड ही नहीं पूरे देश में मॉडल जिला बन सके.

पहल हो, तो पर्यटक स्थलों से मिल सकता है रोजगार

गुमला जिले के पर्यटक व धार्मिक स्थलों का विकास हो तो इस क्षेत्र में दूर-दूर से सैलानी व श्रद्धालु आयेंगे. इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिल सकता है. बेरोजगारों लोग खुद का व्यवसाय कर जीविका चला सकते हैं. लेकिन, इसके लिए सरकार व प्रशासन को पहल करनी होगी. गुमला के प्रमुख धार्मिक, पर्यटक व ऐतिहासिक स्थलों में आंजनधाम, टांगीनाथ धाम, वासुदेव कोना, देवाकीधाम, बनारी में पांच पांडव पहाड़, बिशुनपुर में रंगनाथ मंदिर, डुमरी में सीरासीता, अलबर्ट एक्का जारी में रूद्रपुर का प्राचीन शिवमंदिर, सिसई में छोटानागपुर महाराजाओं की राजधानी डोयसागढ़, नागफेनी, पंपापुर, सुग्रीव गुफा, हापामुनी का प्रसिद्ध महामाया मंदिर, रायडीह में हीरादह, बाघमुंडा जलप्रपात, डुम्बो मंदिर है. जिनका बेहतर विकास तभी संभव है. जब प्रशासन एक प्लानिंग के तहत काम करे.

गुमला में इन समस्याओं को दूर करना जरूरी

– 65 करोड़ रुपये की बाइपास सड़क अभी तक नहीं बनी है. काम अधूरा है. जिससे आमजनता जाम से परेशान हैं. बाइपास अधूरा रहने के कारण शहर में हादसे हो रहे हैं. आम पब्लिक को जान-माल की क्षति हो रही है.

– गुमला अभी तक रेलवे लाइन से नहीं जुड़ पाया है. सरकारें बदलती गयी. लेकिन, हर सरकार के समय लंबे- चौड़े वादे हुए. लेकिन, वादा पूरा नहीं हुआ. आज भी गुमला शहर के लोग रेलवे लाइन के लिए संघर्षरत हैं.

– गुमला जिले में 159 पंचायत में 952 गांव है. लेकिन, कई गांवों तक जाने के लिए सड़क नहीं है. पुल-पुलिया का निर्माण नहीं हुई है. अभी भी बरसात में 300 से अधिक गांव तीन महीने तक टापू हो जाता है.

Also Read: खूंटी के उलीहातू से CM हेमंत राज्यवासियों को देंगे कई सौगात, कार्यक्रम की तैयारी का जायजा लेने पहुंचे डीसी

– हर गांव व हर घर में बिजली पहुंचाने का सपना अभी भी अधूरा है. बिजली विभाग का दावा है. सभी गांव में बिजली पोल व तार लग गया है. लेकिन, हकीकत यह है कि सैंकड़ों गांवों में बिजली पोल व तार शो पीस है.

– गुमला जिले में 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से दर्जनों जलाशय बने हैं. लेकिन, जरूरत के समय किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंचती है. कई जगह नया नहर बनने के बाद टूट गया है. देखने वाला कोई नहीं है.

– गुमला के बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड लाल सोना (बॉक्साइड) में बसा है. गुमला से करोड़ों रुपये का बॉक्साइड हर साल दूसरे राज्य भेजा जा रहा है. लेकिन, इसका लाभ गुमला को नहीं मिल रहा है. अल्युमिनियम के कारखाना की स्थापना नहीं हुई.

– जिले के 12 में से 11 प्रखंड में अस्पताल है, लेकिन वहां डॉक्टर व संसाधन की कमी है. अभी भी कई गांवों में डॉक्टर इलाज करने के लिए जाने से कतराते हैं. जबकि करोड़ों रुपये का भवन बेकार पड़ा है. टूटकर गिर रहा है.

– परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का एक्का के प्रखंड जारी में अस्पताल नहीं है. सड़कों की स्थिति खराब है. आज भी यहां के लोग विकास को तरस रहे हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण इस क्षेत्र का विकास बाधित है.

– गुमला जिला ऐतिहासिक, धार्मिक व पर्यटन स्थलों से पटा हुआ है, लेकिन इन स्थलों का जितना विकास होना चाहिए नहीं हो पाया है. यहां तक कि पर्यटकों की सुरक्षा की भी गारंटी इन पर्यटन स्थलों पर नहीं है.

– गुमला जिले में रोजगार का कोई साधन नहीं है. मानव तस्करी में गुमला कुख्यात जिला माना जाता है. इसके बाद भी यहां रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने व मानव तस्करी को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं.

– सांसद व राज्यसभा सांसदों ने जिन चार गांवों को गोद लिया है. उन गांवों की स्थिति भी ठीक नहीं है. यहां संचालित कई योजनाएं अधूरी है. कहने को सांसद आदर्श ग्राम है, लेकिन गांवों की दुर्दशा नहीं बदली है.

– जिले में 35 एंबुलेंस है, लेकिन समय पर मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिलती है. जिस कारण गुमला से रांची नहीं जा पाने के कारण कई मरीज दम तोड़ देते हैं. सांसद, विधायक ने 12 एंबुलेंस संस्थाओं को बांटे हैं. परंतु अधिकांश का उपयोग निजी हो रहा है.

– गुमला जिले के 200 से अधिक स्कूलों में पानी पीने की व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि स्वच्छ भारत में भी तीन दर्जन स्कूलों में शौचालय नहीं है. जिससे छात्रों के साथ शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ती है. उन्हें खुले में जाना पड़ता है.

Also Read: Birsa Munda Jayanti 2021: बिरसा मुंडा के वंशज समेत पद्मश्री मधु मंसूरी,शशधर आचार्य व छुटनी देवी होंगी सम्मानित
गुमला जिला को मॉडल बनाने के लिए मिलकर करें पहल : विधायक

इस संबंध गुमला विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि जिले के कई गांवों तक जाने के लिए पुल, पुलिया व सड़क बन रहे हैं. कुछ नयी योजना भी बनी है. सरकार ने सड़क व पुल की स्वीकृति दी है. जारी प्रखंड के लोगों को स्वास्थ्य का लाभ मिले. इसके लिए मैंने सरकार से मांग की है. जनता की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. गुमला मॉडल जिला बने. इसके लिए सभी को मिलकर पहल करनी चाहिए.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version