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झारखंड सरकार ने कोराेना के तीसरे वेब से निबटने की तैयारी की शुरू, हर जिला अस्पताल में लगेगा ऑक्सीजन प्लांट

Coronavirus in Jharkhand (रांची) : झारखंड की हेमंत सरकार कोरोना संक्रमण की तीसरी वेब से निबटने की तैयारी शुरू कर दी है. अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की जरूरत पूरी करने के लिए हर जिला अस्पताल में प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (PSA) या ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना बनायी है. राज्य सरकार ने सभी जिलों के सदर अस्पतालों में पीएसए स्थापित करने पर काम शुरू कर दिया है.

Coronavirus in Jharkhand (रांची) : झारखंड की हेमंत सरकार कोरोना संक्रमण की तीसरी वेब से निबटने की तैयारी शुरू कर दी है. अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की जरूरत पूरी करने के लिए हर जिला अस्पताल में प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (PSA) या ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना बनायी है. राज्य सरकार ने सभी जिलों के सदर अस्पतालों में पीएसए स्थापित करने पर काम शुरू कर दिया है.

बता दें कि केंद्र सरकार की सहायता से झारखंड के 4 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है. वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने रांची के रिम्स और सदर अस्पताल, जमशेदपुर के MGM और धनबाद के PMCH में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना को मंजूरी दी थी. इस योजना के तहत रिम्स और रांची के सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगभग शुरू होने की स्थिति में पहुंच गया है.

केंद्र सरकार ने सहायता देने से किया इनकार

केंद्र सरकार ने झारखंड में PSA की स्थापना के लिए सहायता से इनकार कर दिया है. राज्य सरकार द्वारा केंद्र से राज्य में कुल 27 PSA स्थापित करने के लिए प्रस्ताव भेज कर सहायता मांगी थी. राज्य के सभी 24 जिलों के सदर अस्पतालों के अलावा 3 मेडिकल कॉलेजों में भी PSA की मांग केंद्र सरकार से की गयी थी. लेकिन, केंद्र सरकार द्वारा सहायता से इनकार करने के बाद राज्य सरकार ने खुद के खजानों से राज्य के सभी जिलों में एक-एक ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला लिया.

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बता दें कि चारों ऑक्सीजन प्लांट राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) द्वारा लगाये जा रहे हैं. रांची के रिम्स में सुपर स्पेशियलिटी विंग के पीछे ऑक्सीजन प्लांट लग रहा है. खास बात यह है कि खुद का ऑक्सीजन प्लांट होने से रिम्स ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा. वहीं, अन्य सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को भी ऑक्सीजन उपलब्ध करा सकेगा.

प्लांट में ऐसे तैयार होता है ऑक्सीजन

हवा में 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, 78 प्रतिशत नाइट्रोजन और एक प्रतिशत हाइड्रोजन, नियोन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी अन्य गैसें होती हैं, वहीं पानी के 10 लाख मॉलिक्यूल में ऑक्सीजन के केवल 10 मॉलिक्यूल होते हैं. ऑक्सीजन प्लांट में एयर सेपरेशन की तकनीक का इस्तेमाल कर हवा से ऑक्सीजन को अलग किया जाता है. इसमें हवा को कंप्रेस कर उसे फिल्टर किया जाता है, जिससे उसमें मौजूद अशुद्धियां निकल जाती है. इसके बाद फिल्टर की गयी हवा को ठंडा किया जाता है. फिर इसे डिस्टिल किया जाता है, जिससे ऑक्सीजन अन्य गैसों से अलग हो जाता है. इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन लिविड बन जाती है, जिसके बाद उसे टैंक में इकट्ठा किया जाता है.

रिम्स में प्रति मिनट 2100 लीटर ऑक्सीजन का होगा उत्पादन : रिम्स निदेशक

इस संबंध में रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि रिम्स में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कार्य चल रहा है. जल्द ही प्लांट तैयार हो जायेगा. इस प्लांट से प्रति मिनट 2100 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होगा. राज्य के 2 अन्य मेडिकल कॉलेजों और रांची सदर अस्पताल में भी ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की योजना है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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