नक्सली बुद्धेश्वर उरांव के बाद अब झांगुर गुट को घेरने की योजना, 2002 से बना हुआ है गुमला के इन इलाकों में आतंक
भारी फोर्स के साथ घुसती है. इसके बाद भी सफलता हाथ नहीं लगी है. रविवार को एक बार फिर पुलिस को चकमा देकर रामदेव अपने दो साथियों के साथ भाग निकलने में सफल रहा है. हालांकि गुमला के पुलिस अधीक्षक हृदीप पी जनार्दनन ने कहा कि इसबार रामदेव नहीं बचेगा.
Jharkhand Crime News गुमला : झांगुर गुट के सुप्रीमो रामदेव उरांव 2002 से आतंक बना हुआ है. बिशुनपुर, चैनपुर व घाघरा इलाके में इसका दहशत है. इन तीनों थानों में इसके खिलाफ 50 से अधिक मामले दर्ज है. इसमें नरसंहार की घटना भी शामिल है. रामदेव कुख्यात उग्रवादी है. लेकिन पुलिस इसे पकड़ने में विफल रही है. सबसे बड़ी बात कि 19 वर्ष में पुलिस ने कई बार रामदेव के खिलाफ उसके ठिकाने देवरागानी में सर्च ऑपरेशन चलायी है. परंतु रामदेव नहीं मिला. पुलिस जब भी रामदेव के इलाके में घुसती है.
भारी फोर्स के साथ घुसती है. इसके बाद भी सफलता हाथ नहीं लगी है. रविवार को एक बार फिर पुलिस को चकमा देकर रामदेव अपने दो साथियों के साथ भाग निकलने में सफल रहा है. हालांकि गुमला के पुलिस अधीक्षक हृदीप पी जनार्दनन ने कहा कि इसबार रामदेव नहीं बचेगा. पुलिस उसे जल्द पकड़ेगी. भाकपा माओवादी के रिजनल कमेटी सदस्य बुद्धेश्वर उरांव के मार गिराने के बाद अब पुलिस का अगला टारगेट झांगुर गुट का सुप्रीमो रामदेव उरांव है.
देवरागानी का इलाका सेफ जोन है :
घाघरा प्रखंड के बिमरला, तुसगांव, तेंदार, देवरागानी गांव के इलाके रामदेव उरांव के लिए सुरक्षित जोन है. इसलिए वह इस इलाके में बड़े आराम से रहता है और लेवी की उगाही करता है. लेवी से जो पैसा मिलता है. उसे रामदेव लोगों के बीच बांटता भी है. इस कारण वह उस क्षेत्र में हमदर्द बना हुआ है.
रामदेव अपनी सुरक्षा की दृष्टिकोण से कभी भी माओवादी व जेजेएमपी से भिड़ने का प्रयास नहीं किया है. क्योंकि वह अपनी ताकत जानता है. पुलिस के अनुसार रामदेव के पास गिने-चुने सदस्य हैं. झांगुर गुट के नाम से रामदेव का दूसरा गिरोह लातेहार जिला में भी चलता है. लेकिन वह उस क्षेत्र में कमांडरों की नियुक्ति कर काम कर रहा है. देवरागानी व तेंदार के अलावा चैनपुर प्रखंड के नवागाई के आसपास रामदेव ठहरता है. क्योंकि यह सेफ जोन है. अपरशंख जलाशय योजना के ठेकेदारों से लेवी वसूलने का काम वह ज्यादा करता है.
दूसरे नक्सलियों के हमले भी रामदेव बच गया है :
रामदेव उरांव का घर देवरागानी है. इस कारण ग्रामीण उसके खिलाफ नहीं बोलते हैं. पुलिस व दूसरे उग्रवादी संगठन के घुसने पर रामदेव को कुछ ग्रामीणों के माध्यम से सब जानकारी मिल जाती है. उसका सूचना तंत्र भी मजबूत है. इसलिए जेजेएमपी जब भी उसके ऊपर हमला किया है. रामदेव बचकर निकल गया है. चार बार जेजेएमपी ने रामदेव पर हमला किया. चारों बार रामदेव निकल गया. लेकिन रामदेव के साथी अक्सर मारे गये.
पुलिस ने घाघरा में क्राइम होने से रोकी :
गुमला पुलिस की सक्रियता से घाघरा प्रखंड में एक बड़ी अापराधिक घटना टल गयी. एसपी को जैसे ही गुप्त सूचना मिली. पुलिस ने रविवार को एंटी क्राइम चेकिंग अभियान चलाकर एक उग्रवादी को धर दबोचा. एसपी हृदीप पी जनार्दनन ने बताया कि झांगुर गुट के सुप्रीमो रामदेव उरांव, मनोज सिंह व अरविंद उरांव भाग निकला. पुलिस रामदेव को नहीं छोड़ेगी. उसे जल्द पकड़ा जायेगा.