गुमला : इधर, पुलिस ने दबिश भी बढ़ा दी है. इसलिए बुद्धेश्वर के दस्ते के हार्डकोर नक्सली रंथु उरांव, लजीम अंसारी, खुदी मुंडा व अन्य नक्सली गुमला से पलायन कर बूढ़ा पहाड़ में पहुंच कर शरण लिये हुए हैं. इसकी पुष्टि खुद गुमला के पुलिस अधीक्षक हृदीप पी जनार्दनन ने की है. एसपी के अनुसार फिलहाल में भाकपा माओवादी के दस्ते में 10 से 11 सदस्य ही बचे हैं.
जो जान बचा कर बूढ़ा पहाड़ में जाकर छिप गये हैं. एसपी ने यह भी बताया कि बुद्धेश्वर उरांव का साला रंथु उरांव जो इस क्षेत्र में एरिया कमांडर है और पनसो गांव का लजीम अंसारी को सरेंडर करने के लिए एक मौका दिया गया है. इनके परिवार से भी बात की गयी है. ताकि ये दोनों नक्सली मुख्यधारा से जुड़ कर बेहतर जिंदगी जी सके. एसपी ने कहा कि अगर सरेंडर नहीं करते हैं और ये लोग बूढ़ा पहाड़ से वापस लौट कर गुमला में घुसते हैं. तो इस बार इन दोनों को मुठभेड़ में मार गिराया जायेगा. एसपी ने बताया कि बहुत जल्द ऑपरेशन चक्रव्यूह की तरह भाकपा माओवादियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया जायेगा. इसके लिए रणनीति तैयार हो रही है.
गुमला के एसपी ने दावा किया है कि जिले के कई इलाके नक्सलमुक्त हो गया है. धीरे-धीरे नक्सली मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं या खुद सरेंडर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक समय था जब कामडारा, बसिया व पालकोट इलाके में पीएलएफआई के उग्रवादी सक्रिय थे. परंतु पुलिस की लगातार कार्रवाई से कई बड़े नक्सली मारे गये हैं. कुछ को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. अभी हाल में ही चाईबासा में शनिचर सुरीन भी मारा गया जो कि कामडारा का रहने वाला था. एसपी ने कहा कि अगर कुछ गिने-चुने पीएलएफआई के उग्रवादी बचे हैं तो वे सरेंडर करे. नहीं तो मुठभेड़ में जान जा सकती है. एसपी ने कहा कि सरेंडर करने से सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा.