Loading election data...

जंगल में आइइडी ब्लास्ट से पैर उड़ गया था शुरुआती इलाज के बाद गुमला प्रशासन ने मुंह फेरा

इधर, महेंद्र के पैर का जख्म फिर से उभर आया है. जिससे वह परेशान है. परंतु इलाज के लिए परिवार के पास पैसा नहीं है. गरीबी में परिवार जी रहा है. महेंद्र के पिता विशुन महतो व मां अमाशी देवी ने गुमला एसपी को ज्ञापन सौंप कर अपने बेटे के पैर का इलाज कराने व रोजगार दिलाने की मांग की है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 28, 2021 12:41 PM

गुमला : कुरूमगढ़ थाना के मरवा गांव निवासी युवक महेंद्र महतो का नक्सलियों द्वारा जंगल में बिछाये गये आइइडी बम के ब्लास्ट होने से एक पैर उड़ गया था. तब से महेंद्र से विकलांग व लाचार हो गया है. जब बम से पैर उड़ा था तो गुमला पुलिस ने इलाज कराया था. परंतु बाद में गुमला प्रशासन ने महेंद्र की किसी प्रकार की मदद नहीं की. अभी महेंद्र अपने घर पर पड़ा हुआ है.

इधर, महेंद्र के पैर का जख्म फिर से उभर आया है. जिससे वह परेशान है. परंतु इलाज के लिए परिवार के पास पैसा नहीं है. गरीबी में परिवार जी रहा है. महेंद्र के पिता विशुन महतो व मां अमाशी देवी ने गुमला एसपी को ज्ञापन सौंप कर अपने बेटे के पैर का इलाज कराने व रोजगार दिलाने की मांग की है.

आवेदन में कहा गया है कि कुछ माह पूर्व माओवादियों के द्वारा मड़वा जंगल में बिछाये गये आइइडी बम की चपेट में आने से उसके बेटे महेंद्र महतो का बायां पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया है. जिसका इलाज कराने में हम सक्षम नहीं है. उन्होंने अपने बेटे के पैर का इलाज व रोजगार दिलाने की मांग की है.

पशु चराने गये महेंद्र का पैर उड़ गया था :

कुरूमगढ़ थाना की बारडीह पंचायत में मरवा गांव है. यह गांव घने जंगल व पहाड़ों के बीच है. मरवा गांव के 30 वर्षीय महेंद्र महतो का चार माह पहले भाकपा माओवादियों द्वारा जंगल में बिछाये गये बारूदी सुरंग में एक पैर उड़ गया था.

एक माह तक उसका रांची व गुमला अस्पताल में इलाज चला. इसके बाद उसका एक पैर काटना पड़ा. एक पैर से अपाहिज होने के बाद तीन महीने से महेंद्र अपने घर में बिस्तर पर पड़ा हुआ है. नक्सलियों की करतूत से कमाने खाने वाला युवक अपाहिज हो गया. घर में कमाने वाला कोई व्यक्ति नहीं है. परंतु प्रशासन ने इस पीड़ित परिवार की मदद नहीं की.

किसी प्रकार का मुआवजा भी नहीं दिया. सिर्फ घटना के वक्त गुमला के पुलिस अधीक्षक एचपी जनार्दनन ने महेंद्र के परिवार को 20 हजार रुपये देकर प्राथमिक मदद की थी. उसमें से भी आठ हजार महेंद्र का ही रिश्तेदार दूसरे कामों में खर्च कर दिया. मात्र 12 हजार मिला था. जिसमें अब तक उसका जैसे तैसे इलाज चला. कुछ दिनों तक पुलिस विभाग के खर्च पर महेंद्र का रांची के मेडिका अस्पताल में इलाज भी चला.

परंतु तीन महीना में एक दिन भी गुमला प्रशासन या चैनपुर प्रशासन ने महेंद्र की मदद करने व मुआवजा देने की पहल नहीं की. महेंद्र की मां अमाषी देवी ने बताया कि वे लोग प्रखंड प्रशासन से मिलने पहुंचे थे. ताकि कुछ मदद मिल सके. जिससे घर का जीविका चल सके. परंतु प्रशासन ने आवेदन जमा करने के लिए कहा. उपायुक्त से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं. परंतु मदद नहीं मिली है. सिर्फ आवेदन जमा करने के लिए कहते हैं.

Next Article

Exit mobile version