झारखंड: नक्सल मुक्त की राह पर कुरूमगढ़ का इलाका, माओवादी रंथु उरांव को घेरने में जुटी पुलिस
गुमला पुलिस व सीआरपीएफ के लगातार अभियान से यह इलाका अब शांत है. इधर, एक वर्ष से इस क्षेत्र में एक भी नक्सली वारदात नहीं हुई है. यहां तक की नक्सल मुक्त अभियान के तहत कुरूमगढ़ में नया थाना बनाया गया है.
जिस तेजी से भाकपा माओवादी खत्म हो रहे हैं. इसको देख लग रहा है कि कुरूमगढ़ का इलाका नक्सल मुक्त की राह पर है. अगर नक्सली कमांडरों पर गौर करें, तो अब इस इलाके में सिर्फ सब जोनल कमांडर रंथु उरांव बचा है. अगर रंथु सरेंडर कर दिया या फिर सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया, तो कुरूमगढ़ का पूरा इलाका नक्सल मुक्त हो जायेगा. बता दें कि तीन दशक से कुरूमगढ़ के सैकड़ों गांव भाकपा माओवादियों के अधीन रहे हैं.
परंतु, गुमला पुलिस व सीआरपीएफ के लगातार अभियान से यह इलाका अब शांत है. इधर, एक वर्ष से इस क्षेत्र में एक भी नक्सली वारदात नहीं हुई है. यहां तक की नक्सल मुक्त अभियान के तहत कुरूमगढ़ में नया थाना बनाया गया है. इस क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य भी हो रहे हैं, जिन सड़कों व पुलों को नक्सलियों ने बनने से रोक दिया था. अब वे सड़क व पुल बन गये हैं. आवागमन गुमला के पुलिस अधीक्षक डॉ एहतेशाम वकारीब ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में यह पूरा इलाका नक्सल मुक्त होगा. इसके लिए गुमला पुलिस पूरा प्रयास कर रही है. नक्सली रंथु उरांव भी जल्द पकड़ा जायेगा या मुठभेड़ हुई, तो उसे मार गिराया जायेगा.
कुख्यात नक्सली मंगल नगेसिया को खुदी ने मारा था : कुख्यात नक्सली मंगल नगेसिया को खुदी मुंडा ने ही वर्ष 2014 में गोली मार कर हत्या की थी. क्योंकि मंगल भाकपा माओवादी छोड़ कर अपना अलग संगठन बना लिया था, जिससे माओवाद्यों को झटका लगा था. इसलिए हाई कमान के निर्देश पर चीरोडीह जंगल के पहाड़ पर चढ़ कर खुदी ने मंगल को गोलियों से भून दिया था. इसके अलावा खुदी ने मंगल नगेसिया के चार साथियों की भी हत्या की थी, ताकि भाकपा माओवादी का दबदबा बना रहे.
वर्ष 2021 में बुद्धेश्वर उरांव के दस्ता के साथ खुदी मुंडा घूमता था. वह दस्ता के साथ कोरीपाट, केरागानी के आसपास के जंगलों में भ्रमणशील था. इस दौरान पुलिस से मुठभेड़ हुई थी. खुदी मुंडा ने कई बार फायरिंग की थी. इस मुठभेड़ में भाकपा माओवादी कमांडर बुद्धेश्वर उरांव मारा गया था. इसके बाद पुलिस को भारी पड़ता देख कर खुदी मुंडा फरार हो गया था.
वर्ष 2021 के नवंबर माह में कुरूमगढ़ थाना के नये भवन को खुदी मुंडा ने मजदूरों को बाहर निकाल कर सिलिंडर बम लगा कर उड़ाने में शामिल था. वर्ष 2022 के जनवरी माह में भाकपा माओवादी रवींद्र गंझू के साथ खुदी मुंडा ने कुजाम माइंस के संचालक द्वारा लेवी का पैसा नहीं देने पर संगठन के लोग माइंस पहुंच कर कैंप में घुस कर सभी कर्मियों को बाहर निकाल कर मारपीट व गाड़ियों से डीजल निकाल कर छिड़क कर आग लगाने में खुदी मुंडा शामिल था.
वर्ष 2022 के फरवरी माह में ऑपरेशन डबल बुल के दौरान पेशरार के जंगल में सुरक्षाबलों पर हमला कर क्षति पहुंचाने में खुदी मुंडा शामिल था. पुलिस को भारी पड़ता देख वह फरार हो गया था. खुदी मुंडा पर गुमला, सिमडेगा, लातेहार जिले में 44 मामले दर्ज है, जिसमें सबसे अधिक गुमला जिले में 37 मामले दर्ज हैं. जबकि सिमडेगा व लातेहार में कुल सात मामले दर्ज हैं.