Jharkhand News, Gumla News गुमला : गुमला जिले के गांवों में सोलर जलमीनार लगाने में बड़ा घोटाला हुआ है. पीएचईडी विभाग व 14वें वित्त आयोग से जलमीनार की स्थापना की गयी है. परंतु कुछ गांवों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश गांव में जलमीनार की स्थापना के बाद से बेकार है. इसकी जानकारी गुमला प्रशासन को है. इसके बाद भी प्रशासन कार्रवाई करने से कतरा रहा है. सिर्फ जांच का आदेश निकाला जाता है.
परंतु सोलर जलमीनार निर्माण की जांच नहीं हुई. गांवों में जलमीनार शो पीस बन कर रह गया है. लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. मजबूरी में लोग दाड़ी कुआं, नदी व पहाड़ का पझरा पानी पीने को विवश हैं. बताया जा रहा है कि एक लाख रुपये का जलमीनार को दो से ढाई लाख रुपये की लागत से स्थापित कर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गयी है. इसमें कई लोग संलिप्त हैं. जिले के अधिकारी भी हैं. इसलिए जलमीनार की जांच को दबा दी गयी है.
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चार साल से बेकार पड़ा है जलमीनार :
घाघरा प्रखंड मुख्यालय के थाना के समीप लाखों रुपये का जलमीनार चार साल पहले बना है. परंतु आज तक लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला. जिससे गर्मी शुरू होते ही जल संकट गहरा जाता है और लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है. गांव के गोवर्धन मिश्रा ने कहा कि प्रशासन ईमानदारी से काम नहीं किया है. जिस कारण जलमीनार बेकार है और लोगों को परेशानी हो रही है.
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17 घरों को नहीं मिल रहा पानी :
डुमरी प्रखंड के बस्ती में बना जलमीनार कई महीनों से खराब है. जिस कारण 17 घरों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है. उन्हें कुआं और नदी का दूषित पानी पीना पड़ रहा है.
लॉकडाउन से पहले इस जलमीनार को लगाया गया था. जिसके दो माह बाद मशीन खराब हो गयी. रविशंकर भगत ने कहा कि 15 अप्रैल को सरना स्थल पर प्रखंड सरहुल पूजा महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन है. ऐसे में पानी की जरूरत है.
चैनपुर प्रखंड के छापरटोली गावं में दो जलमीनार है. परंतु घटिया काम होने के कारण दो बेकार पड़ा हुआ है. लोगों को मीनार से पानी नहीं मिल रहा है. ग्रामीण बुधराम असुर ने कहा कि ग्रामीण गांव से आधा किमी दूर स्थित पूर्वजों द्वारा बनाये गये दाड़ी कुआं से पीने का पानी लाते हैं. गर्मी के दिनों में पानी की भारी समस्या होती है. परंतु प्रशासन जलमीनार ठीक नहीं करा रहा है.
Posted By : Sameer Oraon