Jharkhand News, Gumla News गुमला : गुमला के हीरादह शंख नदी में डूबे बीटेक के छात्र सुनील कुमार भगत का शव (सड़ा-गला अवशेष कहना ठीक रहेगा) साढ़े तीन महीने बाद गुरुवार को मिला. लेकिन इस शव को भी उचित सम्मान नहीं मिल रहा है, क्योंकि पुलिस-प्रशासन के अधिकारी अपनी नैतिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. परिजन फॉरेंसिक जांच के लिए शव का अवशेष लेकर गुमला से रांची तक के चक्कर लगा रहे हैं.
घटना का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि पुलिस ने वाहन उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद परिजन शव को एक बाइक पर लाद कर नदी से गुमला सदर अस्पताल तक (30 किमी) ले गये. इधर, शुक्रवार को परिजन एक चौकीदार विनोद उरांव के साथ शव का अवशेष लेकर फॉरेंसिक जांच के लिए रांची स्थित रिम्स पहुंचे. यहां फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टेक्सिकोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने शव का बोन एग्जामिनेशन करने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि परिजन के पास न तो कोर्ट ऑर्डर है और न ही थाना प्रभारी व आइओ (इंवेस्टिंग अफसर) का कोई पत्र है. इसलिए शव का बोन एग्जामिनेशन नहीं किया जा सकता है. जांच नहीं होने की वजह से परिजन दिनभर रिम्स में भटकते रहे.
हीरादह शंख नदी से सुनील का क्षत-विक्षत शव निकालने के बाद लोगों ने उसे प्लास्टिक में लपेट कर बांधा. यहां पहुंची पुलिस ने पंचनामा करने के बाद पल्ला झाड़ लिया. शव को पोस्टमार्टम के लिए गुमला सदर अस्पताल भेजने के लिए गाड़ी की व्यवस्था तक नहीं की गयी. पुलिस ने परिजनों से कहा कि शव को अस्पताल तक कैसे ले जाना है, यह आप लोग समझिए. इसके बाद परिजनों ने काफी तलाश की, लेकिन कोई गाड़ी नहीं मिली. बाद में ग्रामीण अशोक सिंह और परिजन मनोज भगत बाइक से प्लास्टिक में लपेटे शव को लेकर रात 9:30 बजे गुमला सदर अस्पताल पहुंचे.
गुमला निवासी बीटेक के तीन छात्र 15 नवंबर 2020 को रायडीह प्रखंड स्थित हीरादह नदी में डूब गये थे. चार फरवरी 2021 को छात्र सुनील कुमार भगत का सड़ा-गला शव नदी से निकाला गया. चूंकि पहाड़ में फंसा शव निकालने के दौरान कई टुकड़ों में बंट गया था, इसलिए गुमला सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने उसका पोस्टमार्टम करने के बजाय उसे फॉरेंसिक जांच के लिए रांची रिम्स भेज दिया.
गुरुवार को हीरादह शंख नदी से निकाला गया था साढ़े तीन माह पहले डूबे बीटेक के छात्र सुनील भगत का शव
फॉरेंसिक जांच की जिम्मेवारी पुलिस की थी लेकिन कागजात तक नहीं दिये रिम्स में जांच से इनकार
इस घटना ने पुलिस-प्रशासन की पोल खोल दी है. शव को नदी से सदर अस्पताल तक लाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी. वहीं, फॉरेंसिक जांच के लिए शव के साथ चौकीदार को भेजा गया, लेकिन जरूरी कागजात नहीं दिये गये. जब जांच नहीं हुई, तो हम शव को लेकर गुमला चले आये.
– संतोष भगत, मृतक के रिश्तेदार
अधिकारी के साथ रहने जैसी कोई बात नहीं है. शव के साथ कोर्ट ऑर्डर और सही दस्तावेज नहीं लाये गये थे, जिसकी वजह से बोन एग्जामिनेशन नहीं किया जा सका. संबंधित थाने के पुलिस कर्मी कोर्ट ऑर्डर और अन्य दस्तावेज लेकर आयेंगे, तो जांच की जायेगी.
– डाॅ सीएस प्रसाद , विभागाध्यक्ष, फॉरेंसिकि मेडिसिन व टेक्सिकोलॉजी विभाग, रिम्स
Posted By : Sameer Oraon