Jharkhand News : CM हेमंत अंकल से गुमला की 13 वर्षीय बेटी सुलेखा की गुहार, दोनों आंख का होना है ऑपरेशन, करें मदद वर्ना हो जायेंगे दिव्यांग

Jharkhand News, Gumla news, गुमला न्यूज : गुमला जिला अंतर्गत रायडीह प्रखंड स्थित तेलेया गांव के बिंदेश्वर उरांव की 13 वर्षीय पुत्री सुलेखा को दोनों आंखों से दिखायी नहीं देता है. वह मोतियाबिंद से ग्रसित है. उसके परिजनों ने सदर हॉस्पिटल में विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदन सौंपा था. जिसके बाद आंख विभाग में डॉ पीएम बाड़ा द्वारा उसकी आंखों की जांच करने पर उसे मोतियाबिंद से ग्रसित पाया. डॉक्टरों ने जल्द आंख का ऑपरेशन कराने को कहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2021 6:54 PM

Jharkhand News, Gumla news, गुमला न्यूज (जॉली विश्वकर्मा) : गुमला जिला अंतर्गत रायडीह प्रखंड के तेलेया गांव के बिंदेश्वर उरांव की 13 वर्षीय बेटी सुलेखा बिलुंग को दिखायी नहीं देता है. मोतियाबिंद से ग्रसित होने के कारण उसकी दोनों आंख खराब है. उन्होंने हेमंत सरकार समेत प्रशासनिक अधिकारियों से मदद की गुहार लगायी है. गुमला की बेटी सुलेखा अपील करते हुए कहती है कि अगर मेरे दोनों आंखों का ऑपरेशन नहीं हुआ, तो वो दिव्यांग हो जायेगी. इसलिए हेमंत अंकल मेरी मदद करें.

रायडीह प्रखंड स्थित तेलेया गांव के बिंदेश्वर उरांव की 13 वर्षीय पुत्री सुलेखा को दोनों आंखों से दिखायी नहीं देता है. वह मोतियाबिंद से ग्रसित है. उसके परिजनों ने सदर हॉस्पिटल में विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदन सौंपा था. जिसके बाद आंख विभाग में डॉ पीएम बाड़ा द्वारा उसकी आंखों की जांच करने पर उसे मोतियाबिंद से ग्रसित पाया. डॉक्टरों ने जल्द आंख का ऑपरेशन कराने को कहा है.

बता दें कि सुलेखा बिलुंग जन्म के बाद से अपनी आंखों की कम रोशनी के कारण काफी परेशान है. वर्तमान में सुलेखा राजेंद्र अभ्यास मवि गुमला की वर्ग छठी की छात्रा है. इस संबंध में उसके चाचा सुनील उरांव ने बताया कि सुलेखा की जन्म के बाद से आंखों में कम रोशनी है. वह एक मीटर दूरी की चीज ही देख पाती है. उसे विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए सदर हॉस्पिटल में आवेदन सौंपा था. जहां जांच में उसे मोतियाबिंद से ग्रसित पाया गया. गरीबी के कारण पूर्व में सुलेखा का इलाज नहीं कराया गया था.

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वहीं, डॉ पीएम बाड़ा ने बताया कि सुलेखा के आंखों का मोतियाबिंद ऑपरेशन करने का दो बार प्रयास किया, लेकिन बच्ची इतनी डर जाती है कि हल्ला करने लगती है. जब तक पूर्ण रूप से एनेस्थिसिया के चिकित्सक नहीं होंगे तब तक उसके आंखों का ऑपरेशन नहीं हो सकता है.

डॉ बाड़ा ने कहा कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट अगर एनेस्थिसिया की व्यवस्था कर दे, तो उसकी आंखों की रोशनी ठीक हो सकती है. उन्होंने कहा कि अगर देर होगी, तो उसकी आंखों की रोशनी जा सकती है. उन्होंने उसके पैरेंट्स से अपील किया है कि वे शीघ्र ही उसका ऑपरेशन करा लें, ताकि उसकी आंखों की रोशनी वापस आ जाये और वह अन्य बच्चों की तरह अपना जीवन निर्वाह कर सके.

Posted By : Samir Ranjan.

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