गुमला का स्वास्थ्य विभाग सीएम की भी नहीं सुनता, सुकांति देवी की एक आंख में कैंसर, नहीं मिला इलाज तो निकालना पड़ सकता है आंख
अगर समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो सुकांति का एक आंख निकालना पड़ सकता है. यहां तक कि इलाज के अभाव में उसकी जान को भी खतरा है. सुकांति गरीब है. उसके पास इलाज के लिए पैसा नहीं है. जिससे वह अपने आंख का इलाज करा सके.
गुमला : सीएम साहब, इस गरीब महिला की मदद कीजिये. नहीं तो एक आंख निकालना पड़ सकता है. हम बात कर रहे हैं, गुमला प्रखंड के केरकी महुआटोली गांव की कैंसर पीड़िता सुकांति मिंज (55 वर्ष) की. सुकांति मिंज के एक आंख में घाव हो गया है. घाव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. यह कैंसर का रूप ले लिया है.
अगर समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो सुकांति का एक आंख निकालना पड़ सकता है. यहां तक कि इलाज के अभाव में उसकी जान को भी खतरा है. सुकांति गरीब है. उसके पास इलाज के लिए पैसा नहीं है. जिससे वह अपने आंख का इलाज करा सके.
घर का सारा पैसा खत्म हो गया :
पिछले एक वर्ष से सुकांति मिंज कैंसर बीमारी से जूझ रही है. इनके आंख के बगल में पूरा घाव बढ़ते जा रहा है. वह अपनी आंख के इलाज के लिये रांची व गुमला के हॉस्पीटल में इलाज कराकर थक चुकी है. अभी तक अपनी जमापूंजी का पूरा पैसा इलाज के नाम पर खत्म कर चुकी है. उसके पति मामूली किसान हैं. अब इतना पैसा नहीं है कि वह गांव से गुमला आये और गुमला से रांची जाये.
मिशन बदलाव के अनंत कुमार ने कहा कि महिला का इलाज जरूरी है. अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो महिला की एक आंख चली जायेगी. हमलोगों ने महिला के घर जाकर उसकी स्थिति की जानकारी ली है. महिला के पास इतना पैसा नहीं है कि वह इलाज करा सके. इसलिए सरकार को सुकांति की मदद के लिए आगे आना होगा.
स्वास्थ्य विभाग ने दी झूठी जानकारी :
मिशन बदलाव गुमला ने बताया कि सुकांति की बीमारी की जानकारी छह मई 2021 को हुई थी. उस समय इसकी जानकारी सीएम हेमंत सोरेन को दी गयी थी. सीएम ने गुमला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को सुकांति के इलाज करने में मदद करने का निर्देश दिये थे. परंतु सीएम के निर्देश के बाद सिर्फ प्रशासन सुकांति का हालचाल पूछा.
उसके इलाज की कोई व्यवस्था अबतक नहीं की गयी. जबकि गुमला स्वास्थ्य विभाग ने सीएम को जानकारी दी कि सुकांति का इलाज हो गया है. परंतु हकीकत यह है कि सुकांति का अभी तक इलाज नहीं हुअ है. गलत जानकारी मिलने के कारण सीएम का बयान जारी हुआ था कि गुमला की सुकांति का इलाज सरकार ने कराया है. जबकि सच्चाई इसके विपरीत है.