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गांव की सड़कों पर दौड़ने वाली गुमला की सुप्रीति चंडीगढ़ में जीती गोल्ड, मां बोली- बचपन से दौड़ने का जुनून ने दिलाया पदक

Jharkhand News, Gumla News : गुमला की सुप्रीति ने चंडीगढ़ में आयोजित 55वीं राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर जिला समेत राज्य का नाम रोशन किया है. प्रभात खबर ने सुप्रीति की जीत की सूचना उसकी मां बालमति देवी को दी. बेटी द्वारा स्वर्ण पदक जीतने की खुशी से मां बालमति देवी काफी खुश दिखी. मां बालमति ने कहा कि मेरी बेटी सुप्रीति बचपन से ही दौड़ में तेज थी. उसकी इच्छा थी कि वह एथलेटिक्स में सबसे तेज धावक बने. यह सपना आज उसका पूरा हुआ है.

Jharkhand News, Gumla News, गुमला (दुर्जय पासवान) : चंडीगढ़ में आयोजित 55वीं राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप (55th National Cross Country Championship) में गुमला की सुप्रीति ने झारखंड का गौरव बढ़ाया है. सुप्रीति ने बालिका अंडर-18 आयु वर्ग के चार किमी दौड़ में 14 मिनट 40 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता. सुप्रीति की इस जीत से गुमला के खेलप्रेमियों में खुशी है.

गुमला की सुप्रीति ने चंडीगढ़ में आयोजित 55वीं राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर जिला समेत राज्य का नाम रोशन किया है. प्रभात खबर ने सुप्रीति की जीत की सूचना उसकी मां बालमति देवी को दी. बेटी द्वारा स्वर्ण पदक जीतने की खुशी से मां बालमति देवी काफी खुश दिखी. मां बालमति ने कहा कि मेरी बेटी सुप्रीति बचपन से ही दौड़ में तेज थी. उसकी इच्छा थी कि वह एथलेटिक्स में सबसे तेज धावक बने. यह सपना आज उसका पूरा हुआ है.

एथलेटिक्स खिलाड़ी सुप्रीति की मां बालमति देवी ने कहा कि बेटी अच्छा कर रही है. मैं बहुत खुश हूं. ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरी बेटी और आगे बढ़े, ताकि राज्य समेत देश का मान- सम्मान भी बढ़ा सके. देश के लिए जीतना मेरी बेटी का सपना है. उम्मीद है. वह अपने सपने को जरूर कड़ी मेहनत व अनुशासन से पूरा करेगी.

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गांव की सड़कों पर दौड़ने वाली गुमला की सुप्रीति चंडीगढ़ में जीती गोल्ड, मां बोली- बचपन से दौड़ने का जुनून ने दिलाया पदक 2
सुप्रीति की मां घाघरा में है अनुसेवक

सुप्रीति का घर घाघरा प्रखंड के बेलागढ़ा पंचायत के बुरहू गांव है. सुप्रीति की मां बालमति घाघरा प्रखंड में अनुसेवक के पद पर कार्यरत है. मां ने बताया कि जब सुप्रीति एक साल की थी. तभी वर्ष 2000 में उसके पिता रामसेवक उरांव का निधन हो गया. पति के निधन के बाद मैंने अपने दो बेटे संदीप उरांव, फुलदीप उरांव और बेटी सुप्रीति उरांव का पालन- पोषण किया. बड़ा बेटा संदीप की शादी हो गयी है. वह गांव में रहता है, जबकि छोटा बेटा फूलदीप गुमला में स्नातक में पढ़ रहा है. सुप्रीति बचपन से दौड़ने का सपना पाले हुए थी. इसलिए वह एथलीट बन गयी.

नुकरूडीपा से हुआ था दौड़ का सफर

सुप्रीति की प्रारंभिक शिक्षा जारी प्रखंड के नुकरूडीपा स्कूल से हुआ था. सुप्रीति नुकरूडीपा छात्रावास में रहकर पढ़ाई की. इस दौरान वह स्कूल की प्रतियोगिता में भाग लेती रही. उसकी दौड़ को देखकर प्रखंड व जिला स्तर के प्रतियोगिता में चयन हुआ. फिर वह राज्य के लिए भी दौड़ी और जीती. उसके खेल प्रदर्शन को देखने हुए सुप्रीति का नामांकन संत पात्रिक हाई स्कूल गुमला में हुआ. मैट्रिक परीक्षा संत पात्रिक से पास की. इसके बाद उसकी दौड़ को देखते हुए सुप्रीति का चयन नेशनल कैंप के लिए हुआ. वह भोपाल में प्रशिक्षण ले रही है और वहीं पार्ट वन में पढ़ रही है. भोपाल में रहते हुए वह चंडीगढ़ में आयोजित प्रतियोगिता में भाग ली और स्वर्ण पदक जीती.

लॉकडाउन में भी अभ्यास जारी रखा

मां बालमति ने कहा कि लॉकडाउन लगा तो सुप्रीति हवाई जहाज से रांची आयी. इसके बाद खेल विभाग के लोगों ने उसे घाघरा लाया. घाघरा में घर बनाये हैं. इसलिए सुप्रीति मां के साथ घाघरा में रहने लगी. मां ने कहा कि घाघरा में रहते हुए सुप्रीति हर दिल अहले सुबह जाग जाती थी. इसके बाद घाघरा की सड़कों पर दौड़ती थी. वह पूरे लॉकडाउन में लगातार अभ्यास करती रही. लगातार अभ्यास का परिणाम है कि सुप्रीति आज क्रॉस कंट्री में बेहतर की है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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