विकास के नाम पर गुमला जिले में काट दिये सैकड़ों पेड़, अब खानापूर्ति के लिए लगाये जा रहे हैं नये पौधे
Jharkhand news, Gumla News : पिछले कुछ सालों में गुमला जिले में सड़क निर्माण, बिजली संयंत्र लगाने एवं भवन निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्यों को कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में पेड़ों को काट दिया गया है. वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, गुमला से मिली जानकारी के अनुसार कामडारा से बक्सपुर पथ निर्माण के दौरान काफी संख्या में पेड़ों को काट दिया गया.
Jharkhand news, Gumla News, गुमला (जगरनाथ) : गुमला जिले में सड़क निर्माण, बिजली पोल-तार लगाने एवं भवन निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्यों को कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है. पेड़ों को काटने के कारण न केवल पर्यावरण पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि वैसे पेड़ों पर निवास करने वाले विभिन्न प्रजातियों के पक्षी भी घर से बेघर होते जा रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में गुमला जिले में सड़क निर्माण, बिजली संयंत्र लगाने एवं भवन निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्यों को कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में पेड़ों को काट दिया गया है. वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, गुमला से मिली जानकारी के अनुसार कामडारा से बक्सपुर पथ निर्माण के दौरान काफी संख्या में पेड़ों को काट दिया गया.
इसके अलावा रामरेखा धाम पथ निर्माण के दौरान 64 पेड़ों को काट दिया गया. गुमला में बाईपास सड़क निर्माण के दौरान 281 पेड़ों को काट दिया गया. वहीं, सबसे अधिक पेड़ों की कटाई गुमला के जेल कैंपस के निर्माण में हुई है. जेल में कैंपस निर्माण के दौरान 580 पेड़ों को काट दिया गया. गुमला में आईटीडीए भवन एवं सदर प्रखंड गुमला के पंचायत सचिवालय के दौरान भी कुछ पेड़ों को काटा गया.
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इसके अतिरिक्त जिले के विभिन्न गांवों में भी सड़क निर्माण, बिजली संयंत्र लगाने एवं भवन निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए काफी संख्या में पेड़ों को काटा गया है. भारी संख्या में पेड़ों को काटे जाने के कारण पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव तो पड़ ही रहा है. साथ ही उक्त पेड़ों पर निवास करने वाले विभिन्न प्रजातियों के पक्षी भी घर से बेघर हो गये.
काटे कोई और बोये कोई
काटे गये पेड़ों की जगह पर नये पेड़ों के लिए पौधारोपण करने के मामले में काटे कोई और बोये कोई वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. भले ही भवन निर्माण, पथ निर्माण एवं बिजली संयंत्र लगाने के लिए संबंधित विभागों द्वारा वन विभाग से एनओसी लेकर पेड़ों को काटा जा रहा है. लेकिन, संबंधित विभाग काटे गये पेड़ों की जगह पर पौधारोपण करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. जिस कारण पेड़ों के कटने से पर्यावरण को हो रही क्षति की पूर्ति के लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग गुमला को जद्दोजहद करनी पड़ रही है. काटे गये पेड़ों की क्षतिपूर्ति के लिए वन विभाग को अन्यत्र जगहों पर पौधारोपण कराना पड़ रहा है. वन विभाग ने जिले के विभिन्न पथों के किनारे, विद्यालय व भवन परिसरों में वन विभाग पौधारोपण करा रहा है.
काटे गये पेड़ों की क्षतिपूर्ति के लिए वन विभाग करा रहा पौधारोपण : डीएफओ
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, गुमला के वन प्रमंडल पदाधिकारी (DFO) श्रीकांत ने बताया कि गुमला जिले में पिछले 3 साल में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, बिजली संयंत्र इत्यादि विकास कार्यों में जितने वृक्ष काटे गये हैं, उनके विरुद्ध सड़क किनारे वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है. विभाग द्वारा कामडारा से बक्सपुर पथ पर लगभग 7 किमी की दूरी तक (पथ के दोनों किनारा) में बांस के गैबियन में 1450 पौधा लगाया गया है. उक्त पथ के दोनों किनारों पर कदम, बकाईन, गुलमोहर, कटहल, सीधा वृक्ष व आम सहित कई प्रकार के पेड़ों का पौधारोपण कराया है. इसके अतिरिक्त विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों एवं सरकारी व गैर सरकारी परिसरों में भी पौधारोपण कराया गया है.
Posted By : Samir Ranjan.