गुमला के मंगरूतल्ला गांव में आज तक नहीं पहुंचे बड़े वाहन, बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव, जानें इस गांव की हकीकत

Jharkhand News, Gumla news : गुमला जिले के मंगरूतल्ला गांव में आज तक न ही बिजली और न ही कोई बुनियादी सुविधा. यहां तक कि ग्रामीणों के लिए चलने के लिए रोड तक नसीब नहीं है. ग्रामीण पगडंडी और पहाड़ी रास्ता से सफर करते हैं. ग्रामीण कुआं का पानी पीने को आज भी विवश हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2021 4:41 PM

Jharkhand News, Gumla news, जारी (जयकरण महतो) : गुमला जिले के जारी प्रखंड स्थित जरडा पंचायत का एक गांव है मंगरूतल्ला. प्रखंड मुख्यालय से 12 किमी दूर है. यह गांव चारों ओर जंगलों एवं पहाड़ों के बीच बसा हुआ है. आजादी के 72 साल हो गया, लेकिन अभी तक इस गांव का विकास नहीं हो सका. आज भी इस क्षेत्र के लोग विकास के रहनुमा का इंतजार कर रहे हैं. गांव में न ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और न ही इलाज के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र. यहां आने के लिए लोगों को कई बार सोचना पड़ता है.

मंगरूतल्ला गांव में आज तक न ही बिजली और न ही कोई बुनियादी सुविधा. यहां तक कि ग्रामीणों के लिए चलने के लिए रोड तक नसीब नहीं है. ग्रामीण पगडंडी और पहाड़ी रास्ता से सफर करते हैं. ग्रामीण कुआं का पानी पीने को आज भी विवश हैं.

मंगरूतल्ला गांव के ग्रामीण प्रसाद खेरवार, बौद्धा खेरवार, बुधराम खेरवार, तेजू चीक बड़ाईक, करमू कुजूर ने बताया कि गांव में बड़े वाहनों का आना बड़ी मुश्किल है. बारिश खत्म होने के बाद पहाड़ी (घाटी क्षेत्र) में बने सड़क की मरम्मत यहां के ग्रामीण करते हैं तब जाकर चार चक्के वाहनों का आना- जाना होता है.

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लेकिन, जैसे ही बरसात का दिन आता है, बारिश की पानी सड़क को बर्बाद कर देती है. इसके कारण वाहनों को आना- जाना बंद हो जाता है. विशेषकर बरसात के दिनों में गांव में गर्भवती महिलाओं या कोई बीमारी हो जाये, तो ग्रामीणों को 3 से 4 किमी दूर बंडोटोली तक मरीज को खटिया में लादकर ले जाया जाता है. फिर यहां से गाड़ी से हॉस्पिटल ले जाते हैं.

हाथी के आक्रमण का डर भी बना रहता है

गांव में बिजली का पोल है, लेकिन बिजली नहीं है. अभी भी ग्रामीण ढिबरी युग में जी रहे हैं. बिजली नहीं रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. विशेष कर जब हाथी गांव में घुसता है, तो आक्रमण का डर बना रहता है. बिजली नहीं रहने के कारण हाथी को खदेड़ने में दिक्कत होती है.

जब तक लड़कियां घर नहीं लौटती, डर बना रहता है

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए भिखमपुर तथा जारी जाना पड़ता है. इस दौरान लड़कियों को जंगल और झाड़ से गुजरकर जाना पड़ता है. जिससे अभिभावकों को जब तक बच्चे लौटकर नहीं आते हैं तब तक चिंता बनी रहती है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से बने शौचालय को भी ठेकेदार द्वारा जैसे- तैसे बना दिया गया है. इसके कारण यह उपयोगी भी नहीं रह गया है. ग्रामीणों ने गांव की समस्या दूर करने की मांग प्रशासन से की है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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