Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड स्थित राजाडेरा गांव घोर नक्सल प्रभावित इलाका है. इसी राजाडेरा जंगल में 100 से अधिक सखुआ का पेड़ काट दिया गया है. अभी भी पेड़ का बोटा गांव में पड़ा हुआ है. यह सभी पेड़ जंगल से काटा गया है. जंगल में पेड़ काटे जाने का निशान है. जंगलों में पेड़ काटे जाने के बाद ठूंठ को देखा जा सकता है. जंगल से पेड़ काटे जाने का मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंच गयी है.
झारखंड जनाधिकार महासभा ने सीएम को ट्वीट किया है. जिसमें जंगल से काटे गये पेड़ों का बोटा है. साथ में कुछ वीडियो भी ट्विटर में डाला गया है. जिसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार पेड़ काटकर रखा गया है. साथ ही 10 दिन के अंदर जंगल से काटे गये पेड़ों का भी वीडियो है. हालांकि, इस मामले में सीएम ने अभी तक किसी प्रकार का जांच का निर्देश नहीं दिया है. लेकिन, राजाडेरा जंगल से पेड़ काटे जाने से मामला गरमा गया है.
इधर, गुमला वन विभाग के DFO श्रीकांत ने कहा है कि जिस जमीन से पेड़ काटा गया है. वह रैयती जमीन है. इधर, प्रभात खबर को उपलब्ध कराये गये कागज के अनुसार, 18 जून 2012 को जुलयुस तिग्गा नामक व्यक्ति ने अपनी जमीन से पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी. जिसमें उन्होंने 60 साल के पेड़ काटने का जिक्र किया है.
लेकिन, जिस स्थान पर पेड़ का बोटा रखा हुआ है. वहीं, 100 से अधिक पेड़ है और हाल के दिनों में काटा गया है. जबकि जुलयुस तिग्गा के कागज के अनुसार, उन्होंने नौ साल पहले पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी. इसलिए झारखंड जनाधिकारी महासभा ने सीएम से पूरे मामले की जांच करने की मांग की है. साथ ही जंगल से पेड़ों को काटने में लकड़ी माफिया, दलाल, बिचौलिया व विभाग के अधिकारी की मिलीभगत की आशंका प्रकट किया है.
गुमला- लातेहार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से जुड़ी सदस्य रोसा खाखा कुछ दिन पहले अपने कुछ साथियों के साथ राजाडेरा गांव का भ्रमण करने गयी थी. तभी वहां पेड़ों को काटा पाया. सदस्यों ने गांव से सटे जंगलों का निरीक्षण किया, तो कई जगह पेड़ काटे हुए मिले और सिर्फ ठूंठ नजर आये. उन्होंने बताया कि बिना ग्रामसभा के इस क्षेत्र में अवैध तरीके से काम हो रहा है. वन विभाग चाहे जो भी बोले. अगर इसकी निष्पक्ष जांच हो, तो किस प्रकार पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हो रहा है. इसका खुलासा होगा. इधर, जेरोम कुजूर ने भी जंगल से पेड़ काटे जाने को गंभीर मामला बताते हुए जांच की मांग की है.
राजाडेरा भाकपा माओवादियों का सेफ जोन रहा है. हालांकि, पुलिस के लगातार अभियान व 15 लाख रुपये के इनामी नक्सली बुद्धेश्वर उरांव के मारे जाने के बाद राजाडेरा में नक्सलियों की आवाजाही कम हुई है. जबतक इस क्षेत्र में नक्सली थे. डर से लकड़ी माफिया नहीं घुसते थे. लेकिन, नक्सलियों ने अपना ठिकाना बदला तो इस क्षेत्र में जंगल काटना शुरू हो गया है. कुछ दिन पहले डुमरी व जारी में भी इसी प्रकार जंगल से पेड़ काटा गया है.
Also Read: गुमला में पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू, 159 पंचायत में 82 सीट महिलाओं के लिए, जानें किस वर्ग के लिए कितनेइस संबंध में गुमला वन विभाग के DFO श्रीकांत ने कहा कि सखुआ बोटा रैयत (जमीन मालिक) का है. रैयत ने तीन माह पूर्व चैनपुर अंचल में आवेदन देकर अपनी जमीन से पेड़ों को काटने के लिए परमिशन लिया था. रैयत द्वारा आवेदन दिये जाने के बाद जांच किया गया था. जांच सही पाया गया. जिस जमीन से पेड़ों को काटा गया है. उक्त जमीन जंगल-झाड़ी नहीं है. उक्त जमीन रैयत का अपना निजी जमीन है.
Posted By : Samir Ranjan.