गुमला के इस वृद्ध दंपती के पास न ही खाने का राशन और न वृद्धावस्था पेंशन, लगा रहा है प्रशासन से मदद की गुहार, भूख मरने की आयी नौबत

कभी भी बारिश में गिर सकता है. वृद्ध दंपती ने बताया कि इनकी एक बेटी है. जिसकी शादी हो चुकी है. शादी भी बड़ी मुश्किल से किये हैं. बेटा नहीं है जो इन्हें कमा कर खिला सके. इसलिए बुढ़ापे में ये दोनों खुद गांव में छोटी मोटी मजदूरी करते हैं. जिससे कुछ मिलता है, तो उससे घर का चूल्हा जलता है. दंपती ने कहा कि जब मजदूरी नहीं करते और पैसा नहीं मिलता तो घर का चूल्हा नहीं जलता है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 12, 2021 1:35 PM

गुमला : साहब वृद्ध दंपती की मदद कीजिए. नहीं तो ये भूखे मर जायेंगे. क्योंकि घर में खाने के लिए अनाज नहीं है. राशन कार्ड भी नहीं बना है. वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिलती है. घर में कमाने वाला भी कोई नहीं है. कच्ची मिट्टी के घर में रहते हैं. किसी दूसरे के घर में मजदूरी करते हैं, बीमार होने पर मजदूरी भी नहीं कर पाते. यह दुखभरी कहानी वृद्ध दंपती शिबू गोप व चिंतामणि देवी की है. इनका घर गुमला प्रखंड के करौंदा लिटाटोली गांव है. यह गांव आदिवासियों के मसीहा पूर्व सांसद स्व कार्तिक उरांव व स्व सुमति उरांव का है. ऐसे महान सपूत के गांव के वृद्ध दंपती आज संकट में जी रहे हैं. घर की स्थिति भी खराब है.

कभी भी बारिश में गिर सकता है. वृद्ध दंपती ने बताया कि इनकी एक बेटी है. जिसकी शादी हो चुकी है. शादी भी बड़ी मुश्किल से किये हैं. बेटा नहीं है जो इन्हें कमा कर खिला सके. इसलिए बुढ़ापे में ये दोनों खुद गांव में छोटी मोटी मजदूरी करते हैं. जिससे कुछ मिलता है, तो उससे घर का चूल्हा जलता है. दंपती ने कहा कि जब मजदूरी नहीं करते और पैसा नहीं मिलता तो घर का चूल्हा नहीं जलता है.

वृद्ध दंपती के आधार कार्ड में उम्र भी गलत चढ़ गया है. शिबू ने कहा कि मेरी उम्र 62 वर्ष है और पत्नी चिंतामणि की उम्र 59 वर्ष है. परंतु आधार कार्ड बनानेवालों ने मेरा उम्र 56 व पत्नी की उम्र 53 कर दिया है. दंपती ने कहा कि अगर समय पर हमारी मदद नहीं हुई, तो हमें भूखे रहना पड़ेगा. जब तक शरीर में जान है. एक साल तक मजदूरी कर लेंगे. परंतु इसके बाद जब शरीर काम नहीं करेगा तो हम कैसे जीयेंगे. क्योंकि हमें न तो पेंशन मिलती है और न ही राशन कार्ड बना है.

मदद मिली तो जिंदगी ठीक से गुजरेगी :

नेहा : गांव की नेहा तिर्की ने कहा कि मैं खुद मजदूरी करती हूं. एक दिन गांव घूमने गयी तो वृद्ध दंपती से मिली. उनके घर की स्थिति ठीक नहीं है. कुछ दिन तो मैं अपने घर से चावल लेकर दिया. परंतु मैं भी गरीब हूं. मेरा भी परिवार है. इसलिए मैं कितने दिन तक मदद कर सकती हूं. प्रशासन को चाहिए कि इस गरीब की मदद करें. राशन कार्ड व पेंशन बन जाये तो इनकी जिंदगी ठीक से गुजरेगी. नेहा ने कहा कि दंपती ने मुझे अपनी पीड़ा बतायी. इसलिए मैंने प्रभात खबर के माध्यम से संपर्क कर वृद्ध दंपती की बात को रखा है.

Next Article

Exit mobile version