4 फरवरी को गुमला के सिरासीता में लगेगा मेला, 7 राज्य से आदिवासी समुदाय के हजारों लोगों का होगा जुटान

Jharkhand News, Gumla News : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड में सिरासीता नाले उर्फ ककड़ोलता आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति स्थल मानी जाती है. 1000 फीट से अधिक ऊंचे पहाड़ पर स्थित यह स्थल आदिवासी समाज की आस्था और विश्वास से जुड़ा है. यहां हर साल फरवरी महीने के प्रथम गुरुवार को सामूहिक धार्मिक पूजा- अर्चना सह मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में बिहार, छतीसगढ़, असम, बंगाल, मध्य प्रदेश, ओड़िशा के अलावा झारखंड के विभिन्न जिलों से 20 हजार से अधिक आदिवासी शामिल होते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2021 4:50 PM

Jharkhand News, Gumla News, गुमला (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड में सिरासीता नाले उर्फ ककड़ोलता आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति स्थल मानी जाती है. 1000 फीट से अधिक ऊंचे पहाड़ पर स्थित यह स्थल आदिवासी समाज की आस्था और विश्वास से जुड़ा है. यहां हर साल फरवरी महीने के प्रथम गुरुवार को सामूहिक धार्मिक पूजा- अर्चना सह मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में बिहार, छतीसगढ़, असम, बंगाल, मध्य प्रदेश, ओड़िशा के अलावा झारखंड के विभिन्न जिलों से 20 हजार से अधिक आदिवासी शामिल होते हैं.

सिरासीता नाले से जुड़ी मान्यता

सिरासीता नाले के इतिहास और इस स्थल से जुड़ी आदिवासी समाज की मान्यताओं के संबंध में प्रबुद्ध चुड़हू भगत ने बताया कि जब- जब पृथ्वी पर अधर्म और पाप बढ़ा है. तब- तब पृथ्वी पर प्रलय हुआ है. उसी प्रलय के बाद आदिवासी सरना धर्मावलंबियों का भी इस धार्मिक स्थल (सिरासिता नाले) ककड़ोलता से मानव की उत्पत्ति हुई है. किस्सा ककड़ोलता से इस प्रकार जुड़ा है. जब पृथ्वी पर पाप भर गया और धर्म का नाश होने लगा. इसे देखकर भगवान महादेव और माता पार्वती को दुःख होने लगा. इसे देखकर माता पार्वती का दिल जल रहा था.

मां पार्वती ने महादेव से कहा हे महादेव, आग और पानी से पूरे पृथ्वी को जला दीजिए. तब महादेव ने कहा ठीक कहती हो. पृथ्वी में सभी तरफ के पाप भर गया है. यह कहकर महादेव आग और पानी को पृथ्वी को जलाने के लिए भेजने गये. इससे पहले महादेव ने हनुमान से कहा कि मैं आग और पानी को दुनिया को जलाने के लिए भेज रहा हूं. जब आधा पृथ्वी जल जायेगा. तब तुम जाकर डमरू को बजा देना. तब आग बुझ जायेगा. पानी बरसना बंद हो जायेगा. यह कहकर महादेव आग और पानी को पृथ्वी पर भेज दिये. आग से मानव, पेड़-पौधा, पशु-पक्षी, जीव-जंतु सभी जल गये. उस समय हनुमान चिटचिटी पेड़ पर चढ़कर फल खा रहे थे. आग चिटचिटी पेड़ को झुलसाया, तो हनुमान हवा में उड़ते हुए जाकर डमरू को बजाया. तब तक पृथ्वी पूरी तरह जल चुकी थी.

Also Read: Jharkhand News : पीएलएफआई के जोनल कमांडर शनिचर के माता-पिता से मिले एसपी, कहा- सरेंडर करने के लिए बेटे को समझायें

यह सब देख कर माता पार्वती को डर सताने लगा कि आधी पृथ्वी को जलाने को कहा था तो पूरे सृष्टि को ही जला दिया. इस पृथ्वी से मानव जाति खत्म हो गया है. अब क्या होगा? यह सोचते हुए मां पार्वती पृथ्वी को देखने लगी. तभी अचानक उनकी नजर 2 बच्चों पर पड़ी. उन्हें देखकर माता की जान में जान लौट आयी. वह दोनों भाई और बहन सिरा और सीता नाले स्थल में गंगला खइड़ (झुंड) के बीच ककड़ोलता में छिपा दिया. उसके बाद महादेव घर लौटे, तो गुस्साये हुए उनसे कहा कि पूरा पृथ्वी जल गया. अब मानव जाति को कहां ढूंढ़ोगे. पूरा दुनिया सुनसान हो गया.

अब मानव का सृजन कैसे होगा? इस पर मां पार्वती ने महादेव से कहा कि जाओ और मानव को ढूंढ कर लाओ. जबतक मानव को ढूंढ नहीं लाते. तब तक मैं आपसे बात नहीं करूंगी. यह सुनकर महादेव पूरी पृथ्वी घूम गये. घूमने के बाद एक दिन अपने लिलि-भुली के संग सिरासिता नाले की ओर गये. गंगला खइड (झुंड) की ओर देख कर भूंकने लगी. तभी महादेव ने दोनों भाईया- बाहिन को ककड़ोलता में घुसते हुए देखा और पार्वती को बताया कि दोनों भाईया- बाहिन को सिरासिता नाले के गंगला खइड़ से ढूंढ़कर ला रहा हूं. इसलिए आज भी गाना गाते हैं सिरा-सिता नाल नू… भाइया बाहिन रहचर, गुचा हरो बेद्दा गे कालोत बरा हरो बेद्दा गे कालोत. इसके बाद महादेव और पार्वती ने दोनों को पाल पोसकर बड़ा किया. जिसके बाद मानव की उत्पत्ति शुरू हुई.

इसलिए आज भी गीत गाते हैं ई उल्ला जुड़ी ददा बआ लइक्कन, अक्कू होले पुरखय मंज्जक्य हो. नीन एन्देर ननोय का ए-न एदेर ननोय, धर्मे इ दसा नन्जा होय. इसलिए आदिवासियों के मान्यतानुसार (सिरासिता नाले) ककड़ोलता ही मानव उत्पत्ति स्थल है.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version