नक्सलियों के गढ़ में चला कुदाल, गुमला के घाघरा में 7 घंटे में 200 ग्रामीणों ने 5 किमी बनायी कच्ची सड़क
नक्सल प्रभावित गुमला के चांदगो गांव में ग्रामीणों की एकजुटता रंग लायी है. 200 ग्रामीणों की टोली ने 7 घंटे में 5 किमी कच्ची सड़क बनायी. सड़क बनाने के लिए हर घर से एक सदस्य निकला. सड़क बनाने के बाद लोगों ने सामूहिक रूप से चूड़ा और गुड़ खाया.
Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : सोये प्रशासन को ग्रामीणों ने आइना दिखाने का काम किया है. 200 ग्रामीणों ने 7 घंटे तक लगातार श्रमदान कर 5 किमी कच्ची सड़क का निर्माण कर मिसाल पेश किया है. ग्रामीणों ने जज्बे व उत्साह के साथ काम किया. हम बात कर रहे हैं गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर व घाघरा प्रखंड के सलामी-चांदगो गांव की सड़क का. यह इलाका पूरी तरह नक्सल प्रभावित है. अभी भी इस क्षेत्र में नक्सलियों की गतिविधि है.
यह सड़क आजादी के 73 साल बाद भी नहीं बनी है. कच्ची सड़क है. जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं. आवागमन में लोगों को परेशानी होती थी. इस समस्या को देखते हुए ग्रामीणों ने सड़क बनाने का निर्णय लिया और सोमवार को सड़क बनाकर दम लिया. ग्रामीण सुबह 10 बजे से शाम के 4 बजे तक श्रमदान से सड़क बनाये.
सड़क बनाने के बाद सभी लोगों ने सामूहिक रूप से चूड़ा और गुड़ खाया. चूड़ा-गुड़ की व्यवस्था खुद ग्रामीणों ने चंदा पैसा इकट्ठा किया था. सड़क बनाने में बामदा व दीरगांव पंचायत के 15 गांव के ग्रामीण शामिल थे. हरेक घर से एक सदस्य सड़क बनाने के लिए कुदाल, गैंता, कड़ाही, भार लेकर निकला. इसके बाद देखते ही देखते कच्ची सड़क बनाकर उसे चलने के योग्य बनाया.
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नक्सलियों के गढ़ में दिखायी एकता
चैनपुर प्रखंड में बामदा व घाघरा प्रखंड में दीरगांव पंचायत है. सरकार इन क्षेत्रों को घोर उग्रवाद प्रभावित मानती है. उग्रवाद का बहाना बनाकर ही प्रशासन इस क्षेत्र में विकास के काम करने से कतराते रहा है. बामदा के चांदगो व घाघरा के सलामी गांव की सड़क प्रशासन की इसी बहानेबाजी के कारण अभी तक नहीं बन पायी थी. जिसे ग्रामीणों ने बनाकर उग्रवादियों के गढ़ में एकता दिखायी है. ग्रामीणों ने पहले गांव में बैठक की. दोनों पंचायत के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से श्रमदान कर सड़क बनाने का निर्णय लिया. इसके बाद सड़क बनायी गयी. हालांकि बरसात में यह सड़क फिर बह सकती है. इसके लिए ग्रामीणों ने सरकार से सात किमी पक्की सड़क बनाने की मांग की है. ग्रामीणों के अनुसार अगर यह सड़क बन जाये तो चैनपुर व घाघरा प्रखंड की दूरी करीब 30 किमी कम हो जायेगी.
नहीं सुने अधिकारी, तब बनायी सड़क
समाजसेवी बुद्धिमान खड़िया ने कहा कि चैनपुर के कुरूमगढ़ व घाघरा प्रखंड के तुसगांव में प्रशासन द्वारा दो वर्ष पहले लगाये गये जनता दरबार में ग्रामीणों ने सड़क बनवाने की मांग की थी. प्रशासन ने वादा भी किया था. सड़क बनवा देंगे. परंतु अभी तक सड़क नहीं बनी. तब थक हार कर ग्रामीणों ने श्रमदान से सड़क बनायी है. बुद्धिमान खड़िया ने कहा कि यह सड़क इस क्षेत्र के लिए लाइफ लाइन है. गांव की जिंदगी है. लेकिन, प्रशासनिक उपेक्षा के कारण सड़क नहीं बनी. उन्होंने कहा कि हम ग्रामीणों ने अब कच्ची सड़क बना दी है. प्रशासन पहल कर इसे पक्की सड़क बनाने की पहल करें.
श्रमदान करने वाले ग्रामीण
समाज सेवी बुद्धिमान खिड़या, सीताराम खड़िया, शिवलाल खड़िया, मंगलेश्वर खड़िया, चरवा बैगा, दीपक खड़िया, देवलाल खड़िया, रने खड़िया, नैनचर खड़िया, भिंसारी देवी, संतोष देवी, कलावती खड़िया, फुलो खड़िया, लीलावती देवी, चौरंती देवी, हरमनिया देवी, सुंदरी देवी, सूरजमुनी खड़िया, रामजीत खड़िया, राम खड़िया, जीतन खेरवार, महीनान महली, बसंती खड़िया, विष्णु खड़िया, अनिमा खड़िया, शनिचरवा खड़िया, सुखराम खड़िया, हरजिन उरांव, अनिमा खड़िया, सतन दास, चमरू उरांव, भंवरा मुंडा, करमा खड़िया, राजेश उरांव, सुखू मुंडा, मुनेश्वर खड़िया, अजय उरांव, वीरेंद्रर खड़िया, कुंवर लोहरा, जयकरण दास, मनोहर सिंह, गोवर्धन मुंडा, बिगना खड़िया, अमरजीत उरांव, भैयाराम उरांव, कमलेश्वर उरांव, शिव भगत, रामदयाल तुरी, महावीर भगत सहित 200 ग्रामीण मौजूद थे.
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पुलिस को होते थी परेशानी
कच्ची सड़क के कारण इस रूट पर पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में परेशानी होती है. क्योंकि कच्ची सड़क व गड्ढों में अक्सर IED बम बिछे होने का डर बना रहता है. इसलिए पुलिस सलामी से चंदागो के अलावा इस क्षेत्र के करीब 50 गांवों में संभल कर छापामारी अभियान चलाती है.
ये बड़ी घटना घट चुकी है
वर्ष 1997 में कुरूमगढ़ में भाकपा माओवादियों ने पुलिस टीम को IED बम से उड़ा दिया था. जिसमें 9 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे. सड़क कच्ची थी. नक्सलियों ने मिट्टी खोदकर बीच सड़क पर बम लगा दिया था. जैसे ही पुलिस की गाड़ी बम बिछाये रास्ते के पास पहुंची थी. पुलिस की गाड़ी उड़ गयी थी.
Posted By : Samir Ranjan.