Jharkhand News (जगरनाथ, गुमला) : 2 नवंबर (मंगलवार) को ईसाई मिशनरी कब्र पूजा करेंगे और मुर्दों के लिए विशेष प्रार्थना करेंगे. गुमला धर्मप्रांत के सभी 39 पल्लियों (चर्च) में स्थित करीब 700 कब्र में पूजा- पाठ होगी. बीते 15 दिनों से कब्र पूजा की तैयारी चल रही थी, जो सोमवार को पूरी हो गयी. मंगलवार (दो नवंबर) को कब्र को फूलमाला व मोमबत्ती से सजाया जायेगा.
कब्र पूजा पर गुमला धर्मप्रांत के पुरोहित ने बताया कि जीवन व मरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. ख्रिस्त विश्वास की मान्यता के अनुसार, जो मनुष्य मरता है, उसका दोबारा जन्म होता है. मरना जीवन का अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है. मनुष्य का संबंध मृत आत्माओं से है क्योंकि जो मरे हैं. वे हमारे अपने हैं.
उन्होंने कहा कि आज हम मृत आत्माओं के लिए प्रार्थना करें. अपने जीवन काल में पूर्वजों ने जो पाप व बुराई किया और ईश्वर से माफी नहीं मांगी. हम इसके लिए माफी मांगे. साथ ही अपने अंदर की छुपी बुराई व शैतान को मारे. उन्होंने ईसाई मिशनरियों से अपील किये हैं कि कोरोना संक्रमण का समय है. इसलिए हम सभी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए हम पूजा में हिस्सा लें.
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गुमला धर्मप्रांत के प्रथम बिशप माइकल मिंज व द्वितीय बिशप पॉल अलविस लकड़ा (स्वर्गीय) के कब्र में आज विशेष पूजा होगी. उनके लिए भी प्रार्थना की जायेगी. स्वर्गीय माइकल मिंज व पॉल लकड़र का कब्र संत पात्रिक महागिरजाघर के अंदर बनाया गया है. यहां आस्था से मोमबत्ती जलायी जायेगी. इसके अलावा सभी चर्च में पुरोहितों द्वारा पूजा पाठ करायी जायेगी.
गुमला धर्मप्रांत में 38 पल्ली है. इसके अंतर्गत 350 छोटे छोटे चर्च हैं. इन चर्चो में करीब 700 कब्र है. जहां हर दो नवंबर को कब्र पूजा होती है. इसमें मृत आत्माओं के लिए विशेष प्रार्थना होगी. परंतु इस वर्ष कब्र में मिस्सा पूजा न होकर चर्च में पूजा की जायेगी.
गुमला, सोसो, टुकूटोली, रामपुर, दलमदी, तुरबुंगा, अघरमा, कोनबीर नवाटोली, केमताटोली, ममरला, केउंदटाड़, छत्तापहाड़, रोशनपुर, लौवाकेरा, सुंदरपुर, देवगांव, करौंदाबेड़ा, मांझाटोली, जोकारी, मुरुमकेला, टोंगो, बारडीह, चैनपुर, मालम नवाटोली, नवाडीह, कटकाही, केड़ेंग, परसा, भिखमपुर, रजावल, कपोडीह, डुमरपाट, डोकापाट, बनारी, विमरला, चिरैयां, जरमना व नवडीहा है.
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जो मर गये हैं. वे पहले मनुष्य थे. उनमें जीवन था. वे अपने जीवन काल में पाप किये. लेकिन ईश्वर से क्षमा नहीं मांगे. इसलिए उनके संतान मृत पूर्वजों के लिए ईश्वर से माफी मांगेंगे.
इसाइयों में मान्यता है कि मृत्यु के बाद जीवन का अंत नहीं है. मरने के बाद पुनर्जन्म होता है. यह मान्यता सृष्टि के निर्माण के समय से चली आ रही है, जो अन्नत तक चलती रहेगी. कब्र पूजा से पूरखों से रिश्ता बना रहता है.
कब्र पवित्र स्थल होता है. मरने के बाद कोई भेदभाव नहीं रहता है, जो मर गये. वे कब्र में शांत मुद्रा में रहते हैं. जबतक मनुष्य जिंदा है. वह बुराई व अच्छाई दोनों प्रकार के कार्य करता है. अगर ईश्वर से प्रार्थना करें, तो हमारे पाप दूर होता है.
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इस संबंध में फादर सीप्रियन कुल्लू ने कहा कि मंगलवार को हम मुर्दों को याद करेंगे. उनके लिए प्रार्थना करेंगे. गुमला के संत पात्रिक स्थित कब्रिस्तान में दिन के 3.30 बजे मोमबत्ती जलायी जायेगी. पुरोहितों की अगुवाई में पूजा होगी. सभी कार्यक्रम कोरोना गाइडलाइन के तहत होगा.
Posted By : Samir Ranjan.