गुमला के ग्रामीणों को अब जान जोखिम में डालकर घाघरा कोयल नदी पार करने से मिलेगी निजात, बनेगा हाईलेबल पुल
गुमला के बिशुनपुर प्रखंड स्थित बनालात से जमटी तक सड़क व घाघरा नदी पर जल्द पुल बनेगी. 16 करोड़ की लागत से इसका निर्माण होना है. इससे दर्जनों गांव के ग्रामीणों को आवागमन में सहूलियत होगी. पुल नहीं रहने से ग्रामीण जान जोखिम में डालकर चेकडैम के सहारे आवागमन करने को मजबूर होते हैं.
Jharkhand News (जगरनाथ, गुमला) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड के बनालात से लेकर जमटी गांव तक पक्की सड़क का निर्माण होगा. साथ ही बनालात व जमटी गांव के बीच स्थित घाघरा कोयल नदी में हाईलेबल पुल का निर्माण होगा. सड़क और पुल का टेंडर हो गया है. 16 करोड़ रुपये की लागत से सड़क व पुल का निर्माण होगा. पथ निर्माण विभाग, गुमला द्वारा काम कराया जायेगा.
इस संबंध में पथ निर्माण विभाग, गुमला के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर रामेश्वर साह ने कहा कि सड़क व पुल का टेंडर हो गया है. ठेकेदार को एक सप्ताह के अंदर काम शुरू करने का आदेश दिया गया है. विभाग का प्रयास है कि जितनी जल्दी हो सड़क व पुल का निर्माण हो जाये. इधर, भाजपा के जिला महामंत्री मिशिर कुजूर ने एग्जिक्यूटिव इंजीनियर से मुलाकात कर जल्द पुल व सड़क बनवाने की मांग किया है.
पुल बनने से दर्जनों गांव के ग्रामीणों को होगा फायदा
बिशुनपुर प्रखंड के बनालात के समीप घाघरा गांव से कोयल नदी बहती है. इस नदी पर पुल नहीं है. इस नदी में एक चेकडैम बनाया गया है. लोग इसी चेकडैम से होकर सफर करते हैं. एक दर्जन गांव के करीब 11 हजार आबादी इसी चेकडैम के भरोसे आवागमन करते हैं. नदी में पानी का जलस्तर बढ़ने व अचानक नदी में बाढ़ आने से चेकडैम से पार करने के दौरान कई लोग नदी में बह चुके हैं.
ग्रामीणों की माने, तो नदी में बहने से अबतक एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि बरसात में एक दर्जन गांव चार महीने तक टापू बना रहता है. नदी के उस पार कटिया, बोरांग, जमटी, टेमरकर्चा, कुमाड़ी, कठठोकवा, खूटीटांड़, जुड़वानी, आसनपानी सहित एक दर्जन गांव है. बरसात के दिनों में ग्रामीण अपने राशन से संबंधित चीजों का जुगाड़ करने में लग जाते हैं. फिर भी कई महत्वपूर्ण जरूरत की चीजों के लिए गांव से निकलते हैं और पुल विहीन नदी होने के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं. इस नदी में पुल बनने के बाद 11 हजार आबादी को लाभ मिलेगा.
कई लोगों की हो चुकी है मौत
घाघरा नदी में पुल नहीं होने के कारण प्रत्येक वर्ष बाढ़ में लोग बहते हैं. मवेशियों की भी जान जाती है. पिछले 10 सालों की आकलन देखे, तो प्रभावित गांव के कैलाश खेरवार, सघनू नगेसिया, लेडहू लोहरा, गुजरू उरांव, डंकू परहयिया, बालचन लोहरा सहित एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है. इधर, 13 सितंबर 2021 को कटिया निवासी सुनील उरांव टेंपो नदी में बह गया जो अब तक नहीं मिल सका. वहीं, बेरीटोली गांव के किसान किशुन उरांव का तीन बैलों की मौत घाघरा नदी में ही बाढ़ में बहने से हो गयी थी. वहीं, एक किसान की भी मौत 22 सितंबर को हो गयी थी.
Posted By : Samir Ranjan.