गांव की सरकार: झारखंड के गुमला की छह पंचायतों के मुखिया हैं निलंबित, क्या वे लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: सदर प्रखंड गुमला एवं चैनपुर प्रखंड की 06 पंचायतों के मुखिया निलंबित हैं. मिली जानकारी के अनुसार सभी मुखिया अभी तक निलंबित हैं. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अनियमितता एवं कर्त्तव्यहीनता सहित अन्य मामलों में मुखिया को निलंबित किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2022 1:34 PM

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: झारखंड पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है. चार चरणों में चुनाव बैलेट पेपर पर होंगे. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अनियमितता एवं कर्त्तव्यहीनता के मामले में झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत सदर प्रखंड गुमला एवं चैनपुर प्रखंड की 06 पंचायतों के मुखिया निलंबित हैं. जिला पंचायती राज शाखा गुमला से मिली जानकारी के अनुसार सभी मुखिया अभी तक निलंबित हैं. सदर प्रखंड के तेलगांव, डुमरडीह, टोटो व घटगांव के अलावा चैनपुर प्रखंड के मालम व कातिंग पंचायत के मुखिया निलंबित हैं. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अनियमितता एवं कर्त्तव्यहीनता सहित अन्य मामलों में मुखिया को निलंबित किया गया है.

संशय में निलंबित मुखिया

पंचायती राज अधिनियम की धारा-86 (4) के अनुसार निलंबित व्यक्ति अपने निलंबन के दौरान इस अधिनियम के अधीन निर्वाचन के लिए अयोग्य होगा. बताते चलें कि वर्ष 2015 में त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन में गुमला जिला अंतर्गत सभी 12 प्रखंडों में 159 मुखिया पद के लिए चुनाव हुआ था. चुनाव में 159 मुखिया जीते और अपने पद पर काबिज हुए, परंतु कार्यकाल के दौरान सदर प्रखंड गुमला के 04 एवं चैनपुर प्रखंड के 02 मुखिया अपनी कार्यप्रणाली के कारण निलंबित हो गये. जिन्हें अब तक निलंबन मुक्त नहीं किया गया है. निलंबन मुक्त नहीं होने के कारण सभी निलंबित मुखिया संशय में हैं कि इस बार के पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी करने का अवसर मिलेगा अथवा नहीं.

Also Read: संगीत नाटक अकादमी अवार्ड: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने झारखंड के छऊ गुरु तपन पटनायक को किया सम्मानित

निलंबन मुक्त हो सकते हैं मुखिया

चुनाव लड़ने से संबंधित संशय को दूर करने के लिए सरकार द्वारा दिशा-निर्देश जारी किया गया है. झारखंड के राज्यपाल के आदेश से सरकार के संयुक्त सचिव ने निलंबित मुखिया को निलंबन से मुक्त करने के लिए पत्र जारी किया है. जिसके तहत वैसे निलंबित मुखिया चुनाव लड़ सकते हैं. जिन पर किसी भी योजना में अनियमितता, अपूर्ण निर्माण, असमायोजित अग्रित की राशि का मामला जिसमें पदधारक की भूमिका मापीपुस्त के आधार पर भुगतान तक एवं भौतिक सत्यापन तक सीमित रही हो, परंतु वर्तमान में योजना पूर्ण हो तथा उनके द्वारा असमायोजित अग्रित अथवा हानि की राशि जमा कर दी गयी है. साथ ही निलंबन मुक्त करने की अनुशंसा संबंधित उपायुक्त से प्राप्त हो.

Also Read: झारखंड में आदिम जनजाति परिवार के दो बच्चे आग में जिंदा जले, एक घायल, देवदूत बनकर पहुंचे सीआरपीएफ के जवान

ये है दिशा निर्देश

एसीबी द्वारा हिरासत में लिये गये पदधारक जिन्हें वर्तमान में जमानत पर रिहा किया गया है तथा निलंबन मुक्त करने की अनुशंसा संबंधित उपायुक्त से प्राप्त हो. योजना में अनियमितता के लिए किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अधार पर हिरासत में लिये गये पदधारक जिनहें वर्तमान में जमानत पर हिरा किया गया है तथा कंडिका-1 में निर्धारित शर्त पूर्ण करने एवं निलंबन मुक्त करने की अनुशंसा संबंधित उपायुक्त से प्राप्त हो. अन्य कारणों में हिरासत में लिये गये पदधारक जिन्हें वर्तमान में जमानत पर रिहा किया गया है तथा निलंबन मुक्त करने की अनुशंसा संबंधित उपायुक्त से प्राप्त हो. गबन, लोकधन की हानि, वसूली, अनियमित क्रय, आपूर्ति जैसे मामले जिसमें अनियमितता में पदधारक की प्रत्यक्ष भूमिका हो. उसमें अधिक भुगतान की गयी राशि की वसूली के साथ ही समानांतर दंडात्मक कार्रवाई की गयी हो. साथ ही निलंबन मुक्त करने की अनुशंसा संबंधित उपायुक्त से प्राप्त हो. पदेन कर्त्तव्य के निवर्हन में अदक्षता, लापरवाही या अन्य कारण जिनका जिक्र उपर्युक्त कंडिकाओं में नहीं हुआ हो. साथ ही निलंबन मुक्त करने की अनुशंसा संबंधित उपायुक्त से प्राप्त हो.

रिपोर्ट: जगरनाथ पासवान

Next Article

Exit mobile version