भवन होने के बाद भी पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं झारखंड के इस स्कूल के बच्चे
स्कूल में सरना समाज के 90 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई करते हैं. किंतु, ईसाई समाज के लोग सरना समाज के लोगों को विद्यालय प्रबंधन समितियों में नही रखते हैं. 1999 से विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन किया गया था.
सिसई, प्रफुल भगत :
गुमला में शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता का नमूना देखने को मिला है. दरअसल, सिसई प्रखंड के आरसी प्राथमिक विद्यालय सैंदा गांव के बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को विवश हैं, क्योंकि 6 माह से स्कूल भवन का मरम्मत कार्य ठप पड़ा है. इसकी सूचना शिक्षा विभाग को भी है, लेकिन इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. सीओ अरुणिमा एक्का व थानेदार आदित्य कुमार चौधरी ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर समाधान निकालने का प्रयास किया, लेकिन ये बैठक बेनतीजा रहा.
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार स्कूल में सरना समाज के 90 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई करते हैं. किंतु, ईसाई समाज के लोग सरना समाज के लोगों को विद्यालय प्रबंधन समितियों में नही रखते हैं. बता दें कि 1999 से विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन किया गया था. जिसमें सरना समाज से कोई सदस्य को नहीं रखा गया था. इनमें से फिलहाल दो सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है. समिति पूरी तरह से निष्क्रिय है. इस वजह से कभी भी प्रबंधन समिति की बैठक नहीं होती है.
सात माह पूर्व फर्जी तरीके से माता समिति का गठन किया गया. इसमें उन लोगों को शामिल किया गया जिनके बच्चों का दाखिला न ही स्कूल में स्कूल में है और न ही पूर्व में गठित विद्यालय प्रबंधन समिति में उनका नाम है. ग्रामीणों की मांग है कि माता समिति को भंग करके नया समिति का गठन करें. जब तक ऐसा नहीं होता है वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.
चडरा उरांव ने बंद करवाया स्कूल मरम्मत का काम
इधर, गांव के ही चडरा उरांव ने अपनी रैयती जमीन पर भवन का कुछ हिस्सा होने की बात कहकर काम को बंद करा दिया. इसकी जानकारी बीइइओ को दी गयी है. इस मामले में उनका कहना है कि स्कूल का महज 23 डिसमिल जमीन है. भवन का कुछ हिस्सा मेरे जमीन में है. गांव के बच्चों के भविष्य को देखते हुए मैंने स्कूल को 25 डिसमिल जमीन दान करनी चाही.
इसके एवज में मैंने प्रबंधन समिति के सामने मांग रखी कि मेरी बहू को रसोइया के पद पर रखा जाये. लेकिन ग्रामीणों ने मेरी बात नहीं मानी. जब इस मामले में रसोइया बेनादित लकड़ा से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि मेरी जगह चडरा की बहू को रसोइया बनाया जाय. मैं स्कूल की भलाई के लिए अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं.
क्या कहना है प्रशासन का
इस संबंध में सीओ अरुणिमा एक्का ने पूर्व की समिति को भंगकर सभी समुदाय के लोगो को समिति में शामिल करने व चडरा उरांव की बहू को रसोइया के पद पर बहाल कराने का आश्वासन दिया है. वहीं, उन्होंने स्कूल के एचएम को वर्तमान में दो कमरे की छराई करने का निर्देश दिया है. मौके पर ग्राम प्रधान जायसवाल उरांव, मकीन अंसारी, उमेश उरांव, बेरनादित उरांव, सीताराम उरांव, निरंजन लकड़ा, अगस्तस लकड़ा, अरविंद उरांव, टरेसा खलखो सहित कई लोग मौजूद थे.