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कारगिल दिवस : लोगों के दिलों में जिंदा हैं गुमला के जॉन अगस्तुस एक्का, बिरसा उरांव व विश्राम मुंडा

इन तीनों सपूतों को आज भी गुमला जिले के सैनिक बड़े सम्मान से नाम लेते हैं. हालांकि आज भी सरकारी महकमे में ये लोग गुमनाम हैं. लेकिन जब भी कारगिल दिवस गुमला में मनाया जाता है. इन शहीदों की जीवनी लोगों को सेना के अधिकारी, जवान व रिटायर सैनिकों द्वारा बताया जाता है.

गुमला : कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 के मई और जुलाई माह के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है. इस युद्ध में गुमला जिले के भी कई वीर सपूत शामिल थे. जिसमें गुमला जिले के तीन बेटे दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए थे. इनमें शहीद जॉन अगस्तुस एक्का, शहीद बिरसा उरांव व शहीद विश्राम मुंडा है.

इन तीनों सपूतों को आज भी गुमला जिले के सैनिक बड़े सम्मान से नाम लेते हैं. हालांकि आज भी सरकारी महकमे में ये लोग गुमनाम हैं. लेकिन जब भी कारगिल दिवस गुमला में मनाया जाता है. इन शहीदों की जीवनी लोगों को सेना के अधिकारी, जवान व रिटायर सैनिकों द्वारा बताया जाता है.

भूतपूर्व सैनिक कल्याण संगठन गुमला के अध्यक्ष ओझा उरांव ने कहा कि गुमला से तीन बेटे 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे. हम उन्हें नमन करते हैं. इन तीनों बेटों का भुलाया नहीं जा सकता है. श्री ओझा उरांव ने बताया कि कारगिल युद्ध में हमारे भारत देश के 500 से अधिक जवान शहीद हुए थे. हमारे वीर जवानों के अदम्य साहस के कारण भारत की जीत हुई थी. इस युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में जुलाई माह में कश्मीर के करगिल जिले में हुई थी. इसे सशस्त्र संघर्ष भी कहा जाता है. इस युद्ध में हमारे झारखंड राज्य के गुमला जिले के भी कई वीर सपूत शामिल थे. जिसमें गुमला जिले के तीन बेटे दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए थे.

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