Loading election data...

कार्तिक उरांव जयंती: कार्तिक बाबा का गांव लिटाटोली को विकास के रहनुमा का आज भी है इंतजार, नहीं लेता कोई सुध

3 बार सांसद व एक बार विधायक रहे गुमला के कार्तिक उरांव की आज जयंती है. लेकिन, उनका गांव लिटाटोली आज भी विकास से कोसों दूर है. नेताओं के जुबां पर कार्तिक बाबा का नाम तो हमेशा रहता है, लेकिन उनके गांव में विकास करना हर कोई भूल जाते हैं. इस गांव में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2021 6:39 PM

Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : छोटानागपुर के काला हीरा के नाम से विख्यात आदिवासियों के मसीहा स्वर्गीय कार्तिक उरांव तीन बार सांसद व एक बार विधायक थे. आज भी युवाओं व वर्तमान नेताओं के प्रेरणा स्रोत हैं. उनके जीवन व काम से प्रभावित होकर कई लोगों ने राजनीति में प्रवेश किया और सांसद व विधायक बने. कार्तिक उरांव कांग्रेसी नेता जरूर थे, लेकिन भाजपा भी उनकी सोच व काम करने के तरीके से प्रभावित रही है.

कार्तिक उरांव जयंती: कार्तिक बाबा का गांव लिटाटोली को विकास के रहनुमा का आज भी है इंतजार, नहीं लेता कोई सुध 2

जिस गांव (गुमला प्रखंड के लिटाटोली गांव) में कार्तिक उरांव ने जन्म लिया. उसी गांव को आज यहां के नेता व प्रशासन भूल गया है. गांव की दुर्दशा से सभी वाकिफ हैं, लेकिन गांव की समस्या दूर करने की पहल नहीं हो रही है. गुमला से 10 किमी दूर लिटाटोली गांव को विकास के रहनुमा का आज भी इंतजार है.

कहने को यह राज्य के सबसे बड़े मसीहा का गांव है, लेकिन गांव की जो दुर्दशा है. नेताओं की भाषणबाजी व प्रशासनिक कार्य पर सवाल खड़ा करता है. गांव की सड़क जर्जर. इससे जनता परेशान हैं. गांव में 19 साल से पंचायत भवन अधूरा है. भवन की जो स्थिति है. यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. आंगनबाड़ी केंद्र 10 साल से अधूरा. अब भवन के चारों ओर झाड़ी उग आया है.

Also Read: आदिवासियों की जमीन लूटने से बचाने के लिए कार्तिक उरांव ने सबसे पहला किये थे आंदोलन, 29 को है जयंती

सरकार की सोच है. हर घर में शौचालय बने. कोई खुले में शौच नहीं करें, लेकिन लिटाटोली गांव की कहानी अलग है. यहां आधा से अधिक लोग खुले में शौच करते हैं. तालाब व नदी के किनारे लोगों को शौच करते देखा जा सकता है. हर साल कार्तिक जयंती पर 29 अक्तूबर को यहां नेताओं की भीड़ उमड़ती है. समय – समय पर प्रशासनिक अधिकारी गांव जाते हैं, लेकिन किसी ने गांव की समस्या दूर करने की पहल नहीं की.

उपेक्षित है लिटाटोली गांव

सुनील उरांव व संजय भगत ने कहा लिटाटोली गांव आज भी उपेक्षित है. सभी सरकारी भवन अधूरा है. यहां तक कि स्वर्गीय कार्तिक उरांव के नाम से संचालित सरकारी लिटाटोली स्कूल में भी समस्या है. छात्रों के लिए पीने का पानी तक नहीं है. भवन टूटकर गिर रहा है. जिस कारण बच्चे स्कूल जाना नहीं चाहते. सड़क खराब है. स्ट्रीट लाइट खराब है. सरकार को इस गांव के विकास के लिए पहल करनी चाहिए.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version